आर्थिक वृद्धि बढ़ाने को अतिरिक्त कदमों की घोषणा जल्द: जेटली

Last Updated 20 Sep 2017 09:52:30 PM IST

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि मंहगाई नियंत्रण में है और सरकार अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने पर काम कर रही है.


वित्त मंत्री अरूण जेटली (फाइल फोटो)

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मशविरे के बाद इस संबंध में उपायों की घोषणा की जाएगी. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर तीन साल के निचले स्तर 5.7 प्रतिशत पर आ गयी. जेटली स्थिति का जायजा लेने और वृद्धि की गति बढ़ाने के मुद्दे पर कुछ साथी मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पिछले कुछ दिनों में कई मुलाकातें कर चुके हैं.

मंहगाई के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह अभी भी मौद्रिक समीक्षा में तय की गयी चार प्रतिशत की सीमा के भीतर ही है. उन्होंने कहा,   मानसून के दौरान सब्जियों के दाम अमूमन बढ़ जाते हैं. यह तेजी का समय है. जब तेजी के समय में यह 3.36 प्रतिशत है तब यह पारंपरिक भारतीय मानक के अनुसार नियंत्रित है. 

खुदरा मंहगाई अगस्त में बढ़कर पांच महीने के उच्चतम स्तर 3.36 प्रतिशत पर पहुंच गयी है.

उन्होंने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा,   हमने अर्थव्यवस्था के सभी उपलब्ध संकेतकों का जायजा लिया है. सरकार हर आवश्यक कदम उठाएगी. मैं इस स्थिति में नहीं हूं कि यहां संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा कर सकूं. मैं निश्चित रूप से पहले प्रधानमंत्री मोदी के साथ सलाह मशविरा करूंगा और जब हम तय कर लेंगे, आपको भी पता चल जाएगा. 

जेटली ने आगे कहा कि यह एक सक्रिय सरकार है और जब-जब परिस्थिति बनी है इसने आवश्यक कदम उठाया है. उन्होंने कहा, हम यथोचित कदम उठा रहे हैं. हम सुधार के एजेंडे पर निरंतर आगे बढ़ रहे हैं. 

वित्तमंत्री ने कहा, हमने सामने आ रहे सभी संकेतकों का जायजा लिया है. पिछले दो दिनों में मैंने अपने सहयोगियों, सचिवों और सरकार में शामिल विशेषज्ञों से कई बार बातचीत की है. 



जेटली ने कल दो घंटे की समीक्षा बैठक की थी जिसमें वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु, रेल मंत्री पीयूष गोयल और नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार भी शामिल थे. इनके अलावा प्रधानमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव पी के मिश्रा, वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया, मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन और वित्त मंत्रालय के सचिवों ने भी बैठक में भाग लिया.

उल्लेखनीय है कि दो साल पहले भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चीन से आगे निकल गयी थी और इसे धूमिल वैश्विक अर्थव्यवस्था का चमकदार सितारा कहा जाने लगा था. लेकिन 2016 की शुरआत से ही जीडीपी लगातार पांच तिमाही गिरकर अप्रैल-जून तिमाही में तीन साल के निचले स्तर 5.7 प्रतिशत पर आ गई. यह लगातार दूसरी तिमाही रही जब जीडीपी वृद्धि में भारत चीन से पिछड़ा है.

भारत के सामने जीडीपी वृद्धि में गिरावट के अतिरिक्त निर्यात और औद्योगिक वृद्धि में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. औद्योगिक वृद्धि की दर पांच साल के निचले स्तर पर आ गयी है. अप्रैल से जून के दौरान चालू खाता घाटा भी बढ़कर जीडीपी का 2.4 प्रतिशत हो गया.

भाषा


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