तेरी, मेरी, सबकी गलती

Last Updated 06 Sep 2025 03:26:51 PM IST

देश के चार उत्तरी राज्यों में बाढ़ और भूस्खलन से तबाही को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने लगता है उस मर्म पर हाथ रख दिया है जिसकी ओर पर्यावरणविद, भूगर्भशास्त्री और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता अर्से से ध्यान दिलाने का काम कर रहे हैं।


तेरी, मेरी, सबकी गलती

लेकिन सरकार और नीति-निर्धारकों, राजनीतिक नेताओं और प्रशासनिक अमले  के कानों पर कोई जूं नहीं रेंगती। स्थानीय सरकारों, मंत्रियों और अफसरों से मिल कर भू माफिया ने इन राज्यों का जो हाल कर दिया है, वह तो अब कभी सुधर नहीं सकता। अदालत ने बाढ़ और भूस्खलन पर गंभीर चिंता जताते हुए इसके लिए पेड़ों की अवैध कटाई को प्रमुख कारण माना है। पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर सरकारों को नोटिस जारी कर उनसे दो हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा गया है।

  मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि बड़े पैमाने पर अवैध पेड़ कटाई की गई है, और यही हालिया आपदा का बड़ा कारण हो सकता है। अदालत ने मीडिया रिपोटरे पर संज्ञान लेते हुए कहा कि हमने हिमाचल प्रदेश के दृश्य देखे, जहां बड़ी संख्या में लकड़ी के कुंदे के कुंदे बाढ़ में बहते हुए नजर आए। यह अनियंत्रित पेड़ कटाई का संकेत है। विकास जरूरी है, लेकिन वह संतुलित होना चाहिए।

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता क्या कहते, उन्हें स्वीकार करना पड़ा कि हमने प्रकृति के साथ इतनी छेड़छाड़ की है कि अब प्रकृति हमें उसका जवाब दे रही है। उन्होंने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि इस मुद्दे पर वे पर्यावरण मंत्रालय के सचिव से बात करेंगे और संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों से भी संवाद स्थापित करेंगे।

लेकिन क्या ये बातें कहने से पहले मेहता को सोचना नहीं चाहिए था कि जब-जब पर्यावरणविद, भूगर्भ शास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता सवाल उठाते हैं, या स्थानीय लोग आंदोलन करते हैं, तब सरकारों की गलत नीतियों की पैरवी करने राज्य ओर केंद्र के अटॉर्नी और सालिसिटर जनरल जैसे बड़े अधिकारी क्यों आ जाते हैं।

उस समय क्या उन्हें दुष्परिणामों का भान नहीं होता। केदारनाथ त्रासदी, जोशीमठ की दरारें, हिमाचल और उत्तराखंड के भूस्खलन और बाढ़, वैष्णो देवी तथा अमरनाथ यात्रा मागरे पर हुए हादसों और पंजाब की बर्बादी से हम कभी सबक भी लेंगे या नोटिसों का सिलसिला यूं ही बदस्तूर जारी रहेगा।



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