जीएसटी में सुधार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीएसटी व्यवस्था में किए गए व्यापक सुधारों (जीएसटी 2.0) को राष्ट्ऱ के लिए समर्थन और वृद्धि को ‘दोहरी खुराक’ करार देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए अगली पीढ़ी के सुधारों की श्रृंखला अब नहीं थमेगी।
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राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार विजेताओं के साथ संवाद के दौरान कहा कि उन्होंने 15 अगस्त को लाल किले से वादा किया था कि दिवाली और छठ पूजा से पहले देशवासियों को ‘दोहरा धमाका’ मिलेगा। गौरतलब है कि जीएसटी परिषद की बुधवार को हुई बैठक में अब से सिर्फ पांच और 18 फीसद की दो कर दरें रखने का फैसला किया गया जबकि विलासिता एवं अहितकर उत्पादों को 40 फीसद के दायरे में रखा गया है। जीएसटी में यह राहत 22 सितम्बर से मिलना शुरू हो जाएगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारी सरकार का लक्ष्य है कि आम लोगों की जेब में अधिक पैसा बचे और उनका जीवन बेहतर बने। दावा किया जा रहा है कि नये सुधारों से कर प्रणाली सरल होगी, जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा, खपत एवं वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा, कारोबारी सुगमता बढ़ेगी जिससे निवेश और रोजगार सृजन को प्रोत्साहन मिलेगा तथा विकसित भारत के लिए सहकारी संघवाद को मजबूती मिलेगी। हालांकि कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने दावा किया है कि इसे लागू करने में देर हो गई है।
हालांकि नये सुधारों का स्वागत किया जा रहा है, लेकिन इस तरफ ध्यान जरूर खींचा जा रहा है कि जीएसटी का मौजूदा डिजाइन और कई दरें होनी ही नहीं चाहिए थीं। कांग्रेस का कहना है कि उसने 2019 और 2024 के लोक सभा चुनावों के अपने घोषणापत्र में तर्कसंगत कर व्यवस्था के साथ जीएसटी 2.0 की मांग की थी, लेकिन मोदी सरकार ने एक राष्ट्र, एक कर को एक राष्ट्र, नौ कर बना दिया। बहरहाल, जीएसटी में नये सुधार के खिलाफ बोलने के लिए विपक्ष के पास कुछ ज्यादा नहीं है।
सच तो यह है कि विपक्ष दुविधा में है कि जीएसटी में बदलाव पर क्या कहे। कर सरलीकरण के लिहाज से ही नहीं, बल्कि ट्रंप टैरिफ के असर को कम करने के मद्देनजर भी यह सुधार जरूरी था। निर्यात मोच्रे पर भारतीय उत्पादों को ट्रंप टैरिफ के चलते झटका मिलना तय है। घरेलू मांग को मजबूत बनाए रख कर ट्रंप टैरिफ के असर को कम से कम किया जा सकता है। जीएसटी में यह सुधार यकीनन आर्थिक तकाजों को पूरा करने वाला स्वागतयोग्य कदम कहा जा सकता है।
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