जापान के साथ अहम संधि
जापान ने भारत में एक दशक में 10 हजार अरब येन (करीब 60 हजार करोड़ रुपये) के निवेश का लक्ष्य रखा है, और दोनों देशों ने महत्त्वपूर्ण खनिजों, रक्षा और प्रौद्योगिकी जैसे कई प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए दस वर्षीय बड़ी रूपरेखा भी तैयार की है।
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दोनों पक्षों ने 13 प्रमुख समझौतों और दस्तावेज को अंतिम रूप दिया। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि जापान ने यह फैसला व्यापार और शुल्क पर अमेरिकी ट्रंप प्रशासन की नीतियों के चलते वैिक पटल पर मची उथल-पुथल के बीच किया। भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैिक साझेदारी के विस्तार की घोषणाएं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिगेरू इशिबा के बीच शिखर वार्ता के बाद की गई।
प्रधानमंत्री मोदी दो देशों-जापान और चीन-की अपनी यात्रा के पहले चरण में जापान पहुंचे थे जहां जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा के साथ शिखर वार्ता हुई। शिखर वार्ता के उपरांत प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जापान की ‘निर्बाध और खुले हिन्द-प्रशांत’ की अवधारणा और इस बाबत भारत की सोच में गहरा सामंजस्य है।
‘विजन महासागर’ और हिन्द-प्रशांत महासागरों की पहल से भारत की सोच मुखर होती है। दोनों देश शांतिपूर्ण, समृद्ध और स्थिर हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके साथ ही दोनों देशों के हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ मजबूत और व्यापक संबंध भी हैं। इसके चलते दोनों देशों को अपने साझा उद्देश्यों को अभिव्यक्ति देने के लिए हिन्द-प्रशांत देशों में से कुछ के साथ बहुपक्षीय प्रारूपों में संवाद करने में मदद मिलती है।
बेशक, भारत और जापान ने अपनी विशेष रणनीतिक और वैिक साझेदारी में एक नये और सुनहरे अध्याय की मजबूत नींव रखी है। दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं और जीवंत लोकतंत्र के रूप में भारत-जापान की साझेदारी न केवल इन दोनों के लिए, बल्कि वैिक शांति और स्थिरता के लिए भी बहुत महत्त्वपूर्ण है।
मौजूदा वैिक अस्थिरता के बरक्स जापान और भारत का परस्पर सहयोग बढ़ना इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि दोनों के बीच हुए समझौतों से इस तथ्य की तस्दीक होती है कि मजबूत लोकतंत्र बेहतर दुनिया को आकार देने में स्वाभाविक साझेदार होते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की इन दो प्रमुख एशियाई देशों की यात्रा ऐसे समय में हुई है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर भारत और अमेरिका के संबंधों में अचानक गिरावट आई है। ऐसे में जापान-भारत के बीच साझेदारी का फैसला बेशक, आस्त करने वाला है।
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