दीवारें लांघेंगे अवैध प्रवासी
सुप्रीम कोर्ट ने अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने को लेकर सरकार द्वारा अपनाई गई मानव संचालन प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी मांगी। केंद्र से पूछा क्या वह अवैध प्रवासियों की घुसपैठ रोकने के लिए सीमा पर दीवार बनाना चाहता है।
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पीठ ने बंगाली व पंजाबीभाषी भारतीयों की पड़ोसी मुल्कों के साथ साझा सांस्कृतिक व भाषाई विरासत की भी चर्चा की। पीठ ने स्वीकारा कि पीड़ित संसाधनों की कमी के अभाव में शीर्ष अदालत पहुंचने में असमर्थ हैं।
सरकार की तरफ से दी गई दलील में एजेंटों के अवैध प्रवेश करवाने की बात की गई और कहा गया कि वे हमारे संसाधनों को नष्ट न करें। इस पर अदालत ने कहा यह राष्ट्रीय सुरक्षा, अखंडता व संसाधनों का सवाल है पर बंगाल व पंजाब की साझी विरासत पर केंद्र अपनी स्थिति स्पष्ट करे।
बीते दिनों प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाए कि केंद्र द्वारा बंगाली भाषाइयों को निशाना बनाया जा रहा है। बहस के दरम्यान केंद्र की तरफ से रोहिंग्याओं का जिक्र भी हुआ जिनके साथ आतंकवादियों के घुसपैठ का भी संदेह जताया गया।
अवैध प्रवासियों के चोरी-छिपे पड़ोसी मुल्कों में प्रवेश को लेकर दुनिया भर की सरकारें त्रस्त हैं। देश भर के सत्रह राज्यों में घुसपैठियों के रहने की बात सरकार द्वारा स्वीकारी जाती है। पंजाबी या बंगाली बोलने वालों को भारतीयों के साथ घुलने-मिलने में दिक्कत भी नहीं आती।
जाहिर है, इनमें से कुछ रोजगार व सुरक्षा की तलाश में घुसते हैं। मगर अराजकता फैलाने व आतंकी गतिविधियों में शामिल होने की मंशा से गलत तरीकों से सीमा पार करने वालों की भी कमी नहीं है।
बार-बार दोहराया जाता है कि अकेले दो करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठियों के देश में रहने की चर्चा होती रहती है जिनमें से तकरीबन आधे पश्चिम बंगाल में ही लुक-छिप कर रह रहे हैं।
हालांकि इस दावे की पुष्टि नहीं की जा सकती। केंद्र द्वारा बनाए गए नागरिकता संशोधन अधिनियम पर विरोध के साथ ही राजनीतिक दल अपने वोट बैंक के हवाले से बयानबाजियां करते रहे हैं।
बेशक, धरपकड़ अभियानों द्वारा मुट्ठी भर घुसपैठिये ही पकड़ में आते हैं। इन्हें रोकने के लिए न तो दीवारें उठाई जा सकती हैं, न ही अभी अवैध घुसपैठियों को एक ही लाठी से हांका जा सकता है, जो कंटीली बाड़ों और मुस्तैद सुरक्षा-व्यवस्था के बावजूद घुसपैठ करते हैं, वे दीवारें लांघने में क्यों घबराएंगे।
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