यूपी में ‘हेलमेट नहीं, पेट्रोल नहीं’, प्रशंसनीय पहल
उत्तर प्रदेश में हेलमेट का इस्तेमाल नहीं करने वालों के लिए योगी सरकार का ऐलान वाकई सराहनीय है। योगी आदित्यनाथ की सरकार 1 अगस्त से ‘हेलमेट नहीं, पेट्रोल नहीं’ का विशेष अभियान चला रही है।
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मुख्यमंत्री ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए सहयोग की अपील की है। यह विशेष सड़क सुरक्षा अभियान 30 सितम्बर तक पूरे राज्य में लागू रहेगा। दरअसल, देशभर में बिना हेलमेट लगाए बाइक चालकों की मौत का आंकड़ा व्यापक है।
देश में साल 2021 में हेलमेट न पहनने के कारण लगभग 47,000 लोगों की मौत हुई, जो कि हर घंटे चार लोगों की मौत के बराबर है। ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं और हेलमेट न पहनने के खतरनाक परिणामों को दर्शाते हैं, खासकर दोपहिया वाहन चलाने वालों के लिए, जहां मौतें अक्सर हेलमेट के इस्तेमाल से रोकी जा सकती है। राज्य सरकार के इस अभियान में परिवहन, पुलिस, राजस्व और जिला प्रशासन के अधिकारी मिलकर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, मगर सड़कों पर कुछ दिनों के अभियान के बाद हालात पहले की तरह लापरवाही भरे दिखने लगते हैं।
कई बार तो जुर्माने से बचने के लिए युवा तबका बाइक को ज्यादा तेज गति से भगाने लगता है और दुर्घटना का शिकार हो जाता है। शायद इसी बात को देखते हुए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि इसका लक्ष्य नागरिकों को दंडित करना नहीं, बल्कि उन्हें कानून के अनुरूप सुरक्षित व्यवहार अपनाने के लिए प्रेरित करना है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि ईधन तभी, जब हेलमेट सिर पर हो। बहरहाल, सरकार को इस नियम को कायदे से लागू करवाने के लिए जरूरत से ज्यादा मशक्कत करने की कवायद करनी पड़ेगी। काफी अरसा पहले दूरदर्शन में हेलमेट की महत्ता और लोगों की जान की कीमत को लेकर एक विज्ञापन दिखाया जाता था। वैसे भी एक बात सभी को समझनी चाहिए कि बिना सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल किए कोई भी अपनी जान की रक्षा नहीं कर सकता है।
इसलिए कार सवार के लिए सीट बेल्ट और बाइक सवार के लिए हेलमेट का इस्तेमाल जीवन रक्षा की गारंटी मानी जाती है। उत्तर प्रदेश सरकार का यह फैसला नि:संदेह प्रशंसनीय है। हालांकि ऐसे अभियान की सफलता तभी कारगर है जब पब्लिक नियम-कायदे का पालन करे और अपनी जिंदगी की सुरक्षा के लिए बाकी लोगों को भी जागरूक करे।
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