भारत पर टैरिफ बम
भारत पर अतिरिक्त 25 फीसद अमेरिकी शुल्क बुधवार को लागू हो गया। अमेरिकी गृह मंत्रालय ने इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी है, और इसी के साथ भारतीय वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ कर 50 फीसद हो गया। माना जा रहा है कि 48 अरब डॉलर से ज्यादा का अमेरिका को किया जाने वाला भारतीय निर्यात इससे प्रभावित होगा।
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भारत के वस्र, परिधान, रत्न-आभूषण, झींगा, चमड़ा और जूते-चप्पल, पशु उत्पाद, रसायन, विद्युत एवं यांत्रिक मशीनरी उद्योग पर सर्वाधिक असर पड़ेगा। भारत के अलावा ब्राजील एकमात्र अमेरिकी व्यापारिक साझेदार है, जिसे 50 फीसद आयात शुल्क का सामना करना पड़ रहा है।
इस घटनाक्रम के बाद भारतीय शेयर बाजार में चौतरफा बिकवाली और कमजोर वैश्विक रुझान से निवेशकों की धारणा कमजोर पड़ी है। सर्राफा बाजार में भी तेजी का रुझान बन गया है।
दरअसल, भारत और अमेरिका के बीच अंतरिम व्यापार समझौते पर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। अमेरिका भारत के कृषि और डेयरी क्षेत्र में प्रवेश चाहता है, लेकिन भारत ने इससे साफ इनकार कर दिया है।
इसके बाद ट्रंप ने भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने को बहाना बना कर यह अतिरिक्त शुल्क थोपा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अतिरिक्त शुल्क थोप कर भारत पर कूटनीतिक और व्यापारिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्पष्ट कर चुके हैं कि कृषि और डेयरी क्षेत्र में भारत कोई समझौता नहीं करेगा क्योंकि हमारे लिए किसानों के हित सवरेपरि हैं।
भारत, अमेरिका को 79 अरब डॉलर का कुल निर्यात करता है, इसमें से 45 अरब डॉलर के भारतीय उत्पाद अमेरिकी शुल्क के दायर में आ जाएंगे यानी अमेरिका को लगभग 45 फीसद भारतीय निर्यात अमेरिकी टैरिफ के दायर से बाहर होगा, लेकिन 55 फीसद भारतीय निर्यात प्रभावित होना तय है।
दवा क्षेत्र को अमेरिका ने अभी नहीं छुआ है, लेकिन धमकी जरूर दे दी है कि भारतीय दवाओं पर भी 150 फीसद शुल्क लगाया जा सकता है।
बेशक, अमेरिका से निर्यात मोच्रे पर बड़ी चुनौती दरपेश है, लेकिन भारत के सामने तमाम विकल्प हैं। भारत को अमेरिका से बाहर नये बाजार तलाशने होंगे। जरूरी है कि रूस के साथ वह नई रणनीति के साथ बढ़े। भारत पलटवार की भी सोच सकता है। चुनिंदा वस्तुओं पर जवाबी टैरिफ लगाने की स्थिति में है।
अपने प्रभावित क्षेत्रों को घरेलू स्तर पर सब्सिडी देकर प्रोत्साहन देकर मजबूत स्थिति में बनाए रख सकता है। बहरहाल, चुनौती बड़ी है, जिसे अवसर में तब्दील करने की क्षमता भारत में है।
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