और भी हैं सवाल

Last Updated 28 Aug 2025 12:09:28 PM IST

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) का कहना है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में जनसांख्यकीय परिवर्तन सोची-समझी साजिश के तहत हो रहा है, जो देश और इसकी सीमाओं की सुरक्षा को सीधे प्रभावित करता है।


और भी हैं सवाल

उन्होंने सीमाओं से तीस किलोमीटर के दायरे में सभी अतिक्रमण हटाए जाने की बात उठाई। समुद्री और स्थलीय सीमाओं पर अतिक्रमण हटाने में सराहनीय कार्य करने के लिए गुजरात सरकार की प्रशंसा भी की।

दिल्ली में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए सीमावर्ती गांवों से पलायन रोकने, वहां के प्रत्येक नागरिक को सरकारी योजनाओं का सौ फीसद लाभ देने और गांवों की सीमा तथा राष्ट्रीय सुरक्षा को पुख्ता करने को विकसित करने की चर्चा की।

केंद्र सरकार द्वारा फरवरी, 2023 से शुरू की गई इस योजना के तहत उत्तरी सीमा पर स्थित अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल और केंद्रशासित लद्दाख के उन्नीस जिलों के 46 प्रखंडों को व्यापक विकास के लिए लिया जा चुका है।

इनमें से कुछ को भारत का अंतिम गांव कहा जाता है, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रथम गांव की संज्ञा दी है। इस देशव्यापी विकास योजना के अंर्तगत सरकार यहां महिलाओं और युवाओं के सशक्तिकरण, सड़क मागरे की कनेक्टिविटी, स्वच्छ पेयजल, बिजली, पर्यटन और स्वास्थ्य केंद्रों के सुधार पर काम कर रही है।

बेशक, देश के सीमावर्ती गांवों की लंबे समय तक होती रही उपेक्षा के चलते स्थानीय ग्रामीणों को पलायन करना पड़ता था। रोजगार और शिक्षा, स्वास्थ तथा बेहतर जीवन यापन के लिए वे करीबी कस्बों या शहरों में जाकर बस जाते थे।

देश में तकरीबन सवा छह लाख गांव हैं जिनमें से अधिकतर कृषि, पारंपरिक उत्पादों, संस्कृति, लोक गीतों-लोक नृत्यों के अलावा नदियों, झीलों और उपज के लिए प्रसिद्ध हैं। परंतु उचित शिक्षा, रोजगार, बिजली, पेयजल और इंटरनेट की कमी के चलते नौजवान वहां रहने को राजी नहीं होते। खासकर सीमावर्ती गांवों के इंफ्रास्ट्रक्चर, संस्कृति के संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देकर रोजगार निश्चित करने का प्रयास कर रही है।

परंतु इन गांवों की सुरक्षा भी अहम मुद्दा है। ग्रामीण परिवार नौजवानों की सुरक्षा को लेकर भी कम आशंकित नहीं रहते। सरकारी दावों और धरातली हकीकत में कई दफा जमीन-आसमान का अंतर देखने में आता है जिससे सरकार को गंभीरतापूर्वक निपटने के प्रयासों को तेज करना आवश्यक है।

सवाल सिर्फ सीमावर्ती गांवों का ही नहीं है। सामाजिक-आर्थिक बदलाव और आधुनिकीकरण के चलते नौजवानों का शहरों की तरफ हो रहा पलायन रोकना बड़ी चुनौती बनती जा रही है। 



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