दलील पर दलील

Last Updated 19 Aug 2025 01:32:53 PM IST

बिहार में वोट अधिकार यात्रा कर राहुल गांधी जिस वक्त वोट चोरी का आरोप मढ़ रहे थे, ठीक उसी वक्त मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार दिल्ली में जवाबी कार्रवाई का ऐलान कर रहे थे।


दलील पर दलील

उन्होंने प्रेस कांफ्रेस के मार्फत से राहुल के सवालों का जवाब देते हुए आरोपों को बेबुनियादी ठहराया। बिना हलफनामा दाखिल किए, इनकी जांच नहीं होने की बात करते हुए ज्ञानेश ने कहा, यदि राहुल सात दिन के भीतर माफी नहीं मांगते तो इन आरोपों को बेबुनियादी समझा जाएगा। गांधी ने आयोग पर वोट चोरी के आरोप लगाते हुए पांच सवाल किए थे।

जिनमें चुनाव आयोग द्वारा बड़े पैमाने में वोटर लिस्ट में फर्जीवाड़ा करने, भाजपा के एजेंट की तरह काम करने, मतदान के वीडियो सबूत नष्ट करनेडिजिटल फॉम्रेट में मतदाता सूची न मुहैया कराने व विपक्ष के सवालों के जवाब की बजाए उसे धमकाने के कारण पूछे थे। इसमें बिहार में चल रहे मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया पर भी सवाल शामिल थे। आयोग का दावा है कि वह मजबूती से मतदाताओं के साथ खड़ा है।

कुमार ने वोट चोरी जैसे शब्दों के प्रयोग को करोड़ों मतदाताओं व लाखों चुनाव कर्मचारियों की ईमानदारी पर हमला बताया। आयोग का दावा है कि देश के तीन लाख नागरिकों की एपिक संख्या मिलती-जुलती है। जिसके संज्ञान में आते ही बदलाव किया गया। कांग्रेस ने ज्ञानेश कुमार पर भाजपा प्रवक्ता की तरह बात करने का आरोप लगाते हुए संवैधानिक रूप से दायित्व निभाने की सलाह दी।

बेशक अपनी पहली प्रेस कांफ्रेस में मुख्य संवैधानिक संस्था के मुखिया की बजाए राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी की तरह बात करके ज्ञानेश विपक्ष के आरोपों के सटीक जवाब देने से बचते नजर आए। जल्दबाजी में उठाए गए उनके इस कदम से नाराज विपक्ष ज्ञानेश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहा है। ध्यान देने वाली है कि मुख्य चुनाव आयुक्त या अन्य चुनाव आयुक्तों को अधिनियम 2023 के अनुसार उसी आधार पर हटाया जा सकता है, जिस आधार पर न्यायाधीश को हटाया जा सकता है।

हालांकि विपक्ष के पास इसे पारित कराने भर की संख्या नहीं है, मगर अपनी दलील की पुष्टि के लिए वे सार्वजनिक मंच से विरोध करने में सफल होते नजर आना चाहेंगे। शीर्ष अदालत में मामला होन के चलते दोनों पक्षों को किसी तरह के आरापों-प्रत्यारोपों पर लगाम लगानी चाहिए। यह गंभीर मसला है, मुनासिब होगा कि आरोपों को सिद्ध करने या खारिज करने में कोई संदेह की गुंजाइश नहीं छोड़ी जानी चाहिए।



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