ग्राहकों को जोर का झटका
आईसीआईसीआई बैंक, भारत का दूसरा सबसे बड़ा निजी बैंक, ने एक अगस्त या उसके बाद खोले जाने वाले नये बचत बैंक खातों के लिए न्यूनतम शेष राशि की अनिवार्यता पांच गुना बढ़ा कर 50 हजार रुपये कर दी है।
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आईसीआईसीआई बैंक के ग्राहकों के लिए 31 जुलाई, 2025 तक बचत बैंक खातों में न्यूनतम मासिक औसत शेष राशि (एमएबी) 10 हजार रुपये थी। बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, अर्ध-शहरी इलाकों में यह सीमा 25 हजार और ग्रामीण इलाकों में 10 हजार रुपये कर दी गई है।
अलबत्ता, एक अगस्त से पहले खोले गए बचत खातों पर यह नियम लागू नहीं होगा। वेतन खातों, प्रधानमंत्री जनधन खातों और बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट अकाउंट धारकों को इस नियम से छूट मिलेगी क्योंकि ये सभी जीरो बैलेंस खाते हैं।
इसके अलावा, वेतनभोगियों को भी बढ़े शुल्कों से छूट मिलती रहेगी। अरसे से बैंक में न्यूनतम राशि बनाए रखने को लेकर बैंक सेवाभोगियों की शिकायत जब-तब उठती रही है। इस बाबत केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक के बैंक सेवा प्रभाग में शिकायतें भी पहुंचीं।
कहा गया कि न्यूनतम राशि खाते में बनाए रखने के नाम पर ग्राहकों को बेजा परेशान किया जाता है। मामले ने तूल पकड़ा तो कुछ बैंकों ने इस अनिवार्यता को या तो शिथिल कर दिया है, या बिल्कुल ही खत्म कर दिया। स्टेट बैंक ने सबसे पहले इस दिशा में कदम उठाते हुए 2020 में न्यूनतम राशि की सीमा को खत्म कर दिया था।
बाद में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी यह अनिवार्यता समाप्त कर दी। इंडियन बैंक ने भी हाल में 7 जुलाई, 2025 को न्यूनतम राशि रखने की अनिवार्यता को समाप्त किया है। दरअसल, इस बात को समझा जाना जरूरी है कि बैंक ग्राहक-हितैषी सेवा प्रदान करें।
ऐसा न हो कि बैंकिंग सेवा ग्राहकों के लिए अप्रिय अनुभव साबित होने लगे। देश में बैंकिंग हैबिट पैदा करने के लिए बैंकों को खासी जद्दोजेहद करनी पड़ी है।
लोग बैंकों में पहुंचने लगे हैं, तो यह नहीं होना चाहिए कि उनसे धन निकासी की मासिक सीमा तय करके और न्यूनतम राशि बनाए रखने के नाम पर अप्रिय फैसले थोपे जाएं।
जरूरी है कि बैंकिंग को आम जन के लिए खुशनुमा अनुभव बनाया जाए। आईसीआईसीआई की एमएबी में पांच गुना की बढ़ोतरी यकीनन अप्रिय और अनुचित कही जाएगी।
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