असल दोषी कौन
हनीमून के लिए मेघालय गई सोनम को पति राजा रघुवंशी की हत्या के मामले में गिरफ्तार कर लिया। राजा व सोनम 23 मई से लापता थे। दो जून को राजा का शव खाई में मिला था, जबकि सोनम का लापता थी। पुलिस के अनुसार उसने भाड़े के हत्यारों के साथ मिलकर साजिश रची थी।
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11 मई को दोनों की परिवार की मर्जी से शादी की हुई थी। 21 मई को दंपति शिलांग पहुंचा। राज कुशवाहा सोनम के पिता की दुकान में काम करता था। जिसके साथ सोनम के रिश्ते थे। इन दोनों ने दो अन्य साथियों के साथ मिलकर बीस लाख रुपये में राजा को रास्ते से हटाने की साजिश रची और पेड़ काटने वाली छोटी कुल्हाड़ी दाव ऑनलाइन मंगाई। राजा की मां का कहना है, सोनम के विवाह में रुचि न लेने व फोन न सुनने से राजा उखड़ा-उखड़ा रहता था।
मगर सोनम की मां का इस पर कहना था, उनका परिवार काफी सख्त है इसलिए उनकी बेटी अपने होने वाले पति के साथ मुलाकातें नहीं कर सकती। हनीमून की बुकिंग भी सोनम ने ही करवाई थी। शादी के बाद उसका बर्ताव ससुरालियों से अच्छा ही था, वह सबसे मिल-जुल कर रही और हनीमून के दरम्यान सबसे फोन पर बातें भी करती रही। सोनम के परिजन उसे बेगुनाह बता रहे हैं और सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।
परिवारों की मर्जी से शादी करने वाली नवविवाहिताओं में इस तरह का आवेश देखकर कहा जा सकता है कि परिजनों को अरेंज मैरिज को लेकर अपने विचार बदलने होंगे। जात-बिरादरी के बंधनों व आर्थिक स्तर को लेकर वैवाहिक संबंधों को बनाने की रवायतों में ढील लानी होगी। परिपक्व उम्र की लड़कियां घर के बड़ों के समक्ष जो आक्रोश व्यक्त नहीं कर पातीं, वह विवाह के उपरांत जानलेवा साबित होता नजर आ रहा है। समाज के बदलते परिवेश में बंदिशों की जगह नहीं रही है। यह गंभीर सामाजिक व पारिवारिक मसला बनता जा रहा है।
इस पर गहन चिंतन की जरूरत है। विवाह पूर्व मैरिज काउंसलर व परिवार विशेषज्ञों की राय भी जरूरी है। अभी समाज दहेज हत्याओं से उबर नहीं पाया है कि यह नये तरह का संक्रमण दंपतियों को चपेट में ले रहा है। इस तरह की हत्या सोची-समझी साजिश का परिणाम होता है। मर्जी के बगैर विवाह या विवाह विच्छेदन को लेकर दायरे बदलने होंगे। सुपारी देकर मौत के घाट उतारने वाली स्त्री को माफ नहीं किया जाना चाहिए। हत्या सिर्फ हत्या है। उसमें लैंगिक पक्षपात की कोई जगह नहीं है।
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