सच का सामना
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने शनिवार को सिंगापुर में जो कहा है वह सबकी आंखें खोल देने वाला है।
![]() प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान |
इससे साबित होता है कि जब दो देशों के बीच छिटपुट सैन्य संघर्ष की स्थिति हो तो ऐसे में असत्य अवधारणाओं और समर्थक मीडिया के सहारे ही बढ़त नहीं ली जा सकती। तथ्यों को दबाना संभव नहीं होता और वे किसी न किसी रास्ते बाहर आ ही जाते हैं। ‘ब्लूमबर्ग टीवी’ को दिये एक साक्षात्कार में जनरल चौहान ने पड़ोसी देश के साथ चार दिन तक चले सैन्य संघर्ष में साफ ब्योरा न देते हुए भारतीय पक्ष को हुए नुकसान की एक तरह से स्पष्ट स्वीकारोक्ति की है।
उनका कहना था विमान गिरे यह महत्त्वपूर्ण नहीं है, क्यों गिरे यह जानना जरूरी है। प्रारंभिक नुकसान के कारणों का पता लगाने के बाद भारत ने अपनी रणनीति में सुधार किया, लंबी दूरी का लक्ष्य कर अपने सभी लड़ाकू विमान उड़ाए और पाकिस्तान में काफी अंदर तक सटीक हमले किए जिससे पाक संघर्ष विराम की गुहार लगाने पर मजबूर हुआ। हालांकि उन्होंने छह भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराने के पाकिस्तान के दावे को ‘सरासर गलत’ बताया।
जनरल चौहान की टिप्पणी से वायुसेना के वायु संचालन महानिदेशक, एयर मार्शल ए के भारती की उस बात को भी बल मिला कि ‘नुकसान लड़ाई का एक हिस्सा है।’ भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में छह मई की देर रात ‘ऑपरेशनंिसदूर के तहत ब्रrाोस क्रूज मिसाइल जैसी लंबी दूरी की मिसाइल का इस्तेमाल करके पाकिस्तान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकियों के बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया। हमले के बाद चार दिन तक सैन्य टकराव हुआ।
दोनों देशों के बीच दस मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी। इस सारे मामले में विपक्ष और देशवासियों को सही तथ्यों से अनभिज्ञ रखने की केंद्र सरकार की नीति सवालों के घेरे में है। अमेरिका के बड़बोले राष्ट्रपति के भारत-पाक में सीजफायर कराने के दावों ने पहले हास्यास्पद स्थिति पैदा की हुई है। वायु सेना प्रमुख की हाल में रक्षा उपकरणों को लेकर किए गए वादों को समय से पूरा न करने संबंधी टिप्पणी भी चिंताजनक है।
सीडीएस की टिप्पणी के बाद कांग्रेस पार्टी ने सरकार से कहा है कि वह देश को सच-सच बताए कि पाकिस्तान के साथ चार दिन तक सैन्य टकराव में कितना नुकसान हुआ। पार्टी ने 1999 में करगिल समीक्षा समिति के गठन की तर्ज पर समीक्षा समिति का सवाल उठाया है। रक्षा विशेषज्ञ ‘उपयुक्त युद्ध सामग्री नहीं होने के कारण’ सैन्य संघर्ष की पहली रात नुकसान होने की बात कह रहे हैं। सब कुछ बहुत उलझा हुआ और चिंताजनक है।
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