अमेरिका में फिर निशाने पर मंदिर
अमेरिका में मंदिरों को बार-बार निशाना बनाने की घटना वाकई तकलीफदेह है। लास एंजिल्स में तथाकथित ‘खालिस्तानी जनमत संग्रह’ से कुछ दिन पहले कैलिफरेनिया के चिनो हिल्स स्थित स्वामीनारायण मंदिर पर आपत्तिजनक संदेश लिखकर इसे क्षतिग्रस्त कर दिया।
![]() फिर निशाने पर मंदिर |
दरअसल, ऐसी धृष्टता पहली बार नहीं की गई है। पहले भी मंदिरों पर इस तरह के हमले हुए हैं। आततायी तत्व नफरत को हर हाल में फैलाना चाहते हैं। साथ ही हिन्दू समुदाय के विरोध में अपना सबकुछ झोंक देना चाहते हैं।
हालांकि विदेश मंत्रालय ने इस कायराना और घृणित कृत्य की कड़ी र्भत्सना की है, मगर अमेरिकी सरकार को भी इस मामले में सख्ती दिखानी होगी। ऐसी घटनाओं से स्वाभाविक तौर पर दोनों देशों के बीच रिश्तों में खटास आएगी। क्योंकि पहले हुई इस तरह की हरकतों में किसी तरह की कोई कार्रवाई भी नहीं की गई है और न किसी तरह की कोई जांच कराई गई है।
गौरतलब है कि अमेरिका में पिछले कुछ वर्षो में 10 मंदिरों में तोड़फोड़ की गई या उन्हें अपवित्र करने की घटनाएं हुई हैं। कई जगहों पर तो मंदिरों की दीवार पर ‘हिन्दुओं वापस जाओ’ के नारे तक लिख दिए गए। ऐसे में पूजास्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित कैसे होगी, यह चिंता का सबब है।
दरअसल, यह कहानी सिर्फ अमेरिका की ही नहीं है। कनाडा में भी पिछले साल नवम्बर के महीने में ब्रैम्पटन शहर में हिन्दू सभा मंदिर के समक्ष खालिस्तानी चरमपंथियों ने विरोध प्रदशर्न किया था। प्रदर्शनकारी जबरन परिसर में घुस गए थे और मंदिर प्रशासन के सदस्यों और श्रद्धालुओं पर हमला बोल दिया था।
उन्होंने महिलाओं व बच्चों को भी बेरहमी से पीटा था। यही नहीं, खालिस्तानी अलगाववादियों ने मंदिर परिसर के पास मंदिर प्रशासन और भारतीय उच्चायोग की तरफ से मिलकर लगाए गए वीजा शिविर को भी निशाना बनाया था। उस दौरान इसकी कड़ी निंदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी।
बहरहाल, चाहे अमेरिका हो, कनाडा या फिर ऑस्ट्रेलिया; हर जगह हिन्दू समुदाय और उनके पवित्र स्थलों को बेदर्दी से नुकसान पहुंचाने की साजिश होती रही है। हास्यास्पदैहै कि इन सब घटनाओं को लेकर संबंधित सरकार का रवैया भी सतही दिखता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि ट्रंप सरकार इस मामले में कुछ अलग हटकर काम करेगी और हिन्दुस्तान की भावनाओं की कद्र करेगी।
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