सुकून का तलाक

Last Updated 23 Apr 2024 01:34:46 PM IST

रिलेटिव इंपोटेंसी के कारण विवाह बरकरार न रख पाने वाले दंपति की शादी बंबई हाईकोर्ट ने निरस्त कर दी।


सुकून का तलाक

अदालत के फैसले के अनुसार दंपति की हताशा को नजरंदाज नहीं किया जा सकता तथा कहा कि रिलेटिव इंपोटेंसी की विभिन्न शारीरिक व मानसिक वजह हो सकती है। विवाह जारी न रह पाने की वजह प्रत्यक्ष तौर पर पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बना पाने में पति की अक्षमता है।

अपने फैसले में उच्च अदालत ने कहा कि शुरुआत में संबंध न बना पाने के लिए उसने अपनी पत्नी को दोषी को ठहराया क्योंकि वह यह स्वीकारने में असमर्थ था कि वह दैहिक संबंध कायम करने में असमर्थ है। दोनों का विवाह मार्च 2023 में हुआ था, परंतु वे 17 दिन बाद ही अलग हो गए। मामले को फरवरी 2024 में परिवार अदालत ने खारिज कर दिया था। उसका कहना था कि मिली-भगत से तलाक की अर्जी दायर की गई है। पति नहीं चाहता था कि उस पर नपुंसकता का धब्बा लगे।

रिलेटिव इंपोटेंसी में कोई शख्स किसी विशेष के साथ दैहिक संबंध कायम करने में असमर्थ हो जाता है। यह सामान्य नपुंसकता से भिन्न है। यह फैसला तलाक की अर्जी लगाने वाले ढेरों दंपतियों के लिए सुकून की सांस लेन वाला साबित हो सकता है।

अपने समाज में अभी भी शादियां टूटने के मामले औसतन बहुत कम हैं। उस पर इस तरह के गोपन आरोप लगाने वाले अपनी सामाजिक तौहीन को लेकर बहुत भावुक हो जाते हैं। ज्यादातर मामलों में उन्हें अपनी चूक या अक्षमता को पचा पाने का नैतिक साहस नहीं होता है।

चूंकि अभी भी अमूमन शादियां परिवारों द्वारा निश्चित की जाती हैं, ऐसे में दंपति में सामंजस्य न बैठ पाना, गैरमामूली नहीं कहा जा सकता। हालांकि यदि पति को ऐसा कोई संदेह पहले था तो उसे चिकित्सकीय परामर्श अवश्य लेनी चाहिए। विचारणीय बात तो यह भी है कि जब दोनों आपसी सहमति से विवाह के कायम न रखने को राजी हैं।

अगर उनके दरम्यान कोई मतभेद नहीं हैं तो संबंध विच्छेद के मध्य किसी को आने की आवश्यकता नहीं रह जाती। पौरुषहीनता का आरोप जड़ कर संबंध विच्छेद करना, उसकी समूची शख्सियत को छलनी करने सरीखा है।

उसे मानसिक, भावनात्मक व सामाजिक रूप से निर्वस्त्र करने से बेहतर है, सहज तौर पर तलाक दे/ले लिया जाए।



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