हरियाणा में भाजपा का पासा

Last Updated 14 Mar 2024 01:05:08 PM IST

लोकसभा चुनाव से ऐन पहले हरियाणा (Haryana) में मंगलवार को तेजी से बदले घटनाक्रम में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और कुछ देर बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष और कुरुक्षेत्र से सांसद नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) (54) ने राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली।


नायब सिंह सैनी

सैनी के साथ 5 और मंत्रियों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। खट्टर के नजदीकी माने जाने वाले सैनी पूर्व में मंत्री रह चुके हैं, और पार्टी संगठन में भी उनका अनुभव खासा है। बुधवार को सैनी ने विधानसभा में बहुमत भी हासिल कर लिया।

दरअसल, अरसे से भाजपा-जजपा की गठबंधन सरकार में मतभेद की खबरें आ रही थीं, लेकिन जिस तेजी से घटनाक्रम घटा वह अप्रत्याशित था। जजपा राज्य में लोक सभा की तीन टिकटें मांग रही थी, जबकि भाजपा के पास राज्य की सभी लोक सभा सीटें हैं।

जजपा अपनी मांग मनवाने के लिए परोक्ष रूप से गठबंधन तोड़ने के संकेत गाहे बगाहे देती रही थी। ऐसे में लोक सभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने जजपा की मांग मानने की बजाय गठबंधन तोड़ना बेहतर समझा। इसलिए भी कि बहुमत साबित करना उसके लिए कठिन नहीं था। अनेक निर्दलीय भाजपा सरकार को समर्थन देने को लालायित थे। कुछ लोगों का मानना है कि ओबीसी पर पकड़ मजबूत करने के लिए यह बदलाव किया गया है।

राज्य में ओबीसी समुदाय की सर्वाधिक आबादी (करीब 44 फीसद) है, और कोई भी पार्टी इसकी नाराजगी मोल नहीं ले सकती। जजपा का जनाधार जाट मतदाताओं में माना जाता है। ओबीसी में शुमार जाटों को अपने साथ जोड़े रखने के लिए भी यह दांव चला गया है। जैसे ही जजपा और भाजपा का गठबंधन टूटा वैसे ही जजपा के 8 विधायक भाजपा की ओर लामबंद होते लगे।

किसानों के असंतोष से भाजपा सरकार पर सत्ताजनित रोष का साया भी महसूस किया जा रहा था। इस रोष को शांत करने के लिए भी नेतृत्व परिवर्तन जरूरी था। बहरहाल, मंगलवार और बुधवार के घटनाक्रम से इस बात की एक बार फिर से तस्दीक हुई है कि भाजपा में रणनीतिक कौशल और आत्मविश्वास गजब का है।

इस कारण वह फैसले लेने, वो भी कड़े और निर्णायक, में जरा देर नहीं करती। अब देखा जाना है कि लोक सभा चुनाव और विधानसभा चुनाव, जो आगामी अक्टूबर माह में होने हैं, में भाजपा कैसा प्रदर्शन करती है। लोक सभा की राज्य से सभी सीटें उसके पास हैं, उन्हें फिर से अपनी झोली में डाल लेना उसकी बड़ी चुनौती है।



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