सूर्य योजना से क्या रोशन होंगे घर!
हाल ही में केंद्र सरकार ने गांवों और किसानों की बेहतरी के लिए प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना की घोषणा की। इसी के साथ किसानों को आगामी खरीफ फसल में इस्तेमाल किए जाने वाले उर्वरकों के लिए सब्सिडी और गुजरात में तीन सेमीकंडक्टर संयंत्रों की मंजूरी भी दी गई।
![]() प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना |
जाहिर है सूर्य घर योजना देश के एक करोड़ घरों की छतों पर सौर संयंत्र लगाने के लिए है। इससे करोड़ों लोगों को तीन सौ वॉट मुफ्त बिजली मिल सकेगी। गांव और गरीब के लिए यह योजना मील के पत्थर की तरह मानी जा रही है। गौरतलब है कि देश के हजारों घरों में धन की कमी की वजह से आज भी अंधियारा रहता है। इस योजना पर 75,021 करोड़ रु पए का खर्च आएगा। सूर्य घर योजना सत्तासीन केंद्र सरकार के उस चुनावी वादे के तहत है, जिसमें 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने की बात थी।
यदि भारत में गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रेत को बढ़ावा देने की बात करें तो इसकी विधिवत शुरु आत जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन के रूप में 11 जनवरी, 2010 को मनमोहन सिंह सरकार के दूसरे कार्यकाल में हुई थी, लेकिन इसका दायरा सीमित था। सौर ऊर्जा मिशन को बिजली के विकल्प के रूप में आगे बढ़ाने में मोदी सरकार ने जो कदम उठाए उससे कई राज्यों में बिजली की किल्लत से काफी हद तक छुटकारा मिला। सौर ऊर्जा के जानकार कहते रहे हैं कि भारत में सौर ऊर्जा पर्याप्त मात्रा में है, जरूरत है सिर्फ जगह-जगह ज्यादा से ज्यादा सोलर पावर प्लांट लगाने की ताकि ऊर्जा के मामले में देश पूरी तरह निर्भर हो सके। सूर्य घर योजना इस संकल्पना को मूर्त रूप देने जैसी है।
गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रेतों को बढ़ावा देने के लिए राजग सरकार ने अपने पहले बजट में 500 करोड़ रु पये का प्रावधान किया था। इससे सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा स्रेतों के दोहन में अच्छी प्रगति हुई। दुनिया के कई देशों में सौर ऊर्जा से घरों, कारखानों और कार्यालयों में ही नहीं, सड़कों के संकेतों (सिग्नलों) और सड़क बत्तियों (स्ट्रीट लाइट) को भी चलाया जा रहा है। भारत में जरूरत का अभी तक महज डेढ़ प्रतिशत सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है, जिसका प्रयोग घरों में उजाला करने, टीवी, कंप्यूटर चलाने और ऐसे ही छोटे-मोटे कायरे में किया जा रहा है, लेकिन नई योजना से घर की ही नहीं, बल्कि खेती संबंधी जरूरतें आराम से पूरी की जा सकेंगी।
नई योजना से ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलने की संभावना है। जाहिर है कि बिजली का सबसे बेहतर विकल्प सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा माना जा रहा है। वहीं बिजली की समस्या के समाधान की दिशा में पिछले दस सालों में कुछ सार्थक विकल्प सामने आए हैं। इनमें भूसा, कचरा और खरपरवार से बिजली बनाने जैसे विकल्प शामिल हैं। लेकिन सवाल यह है कि जिस तरह से उपभोग के कृत्रिम साधन लगातार बढ़ रहे हैं, उनके लिए क्या इन दोनों विकल्पों से भरपाई हो सकती है? विलासिता की वस्तुएं जिस तेजी के साथ आम आदमी की जिंदगी का हिस्सा बन रही हैं, उससे अभी कहना जल्दबाजी होगा कि बिजली से चलने वाले सारे उपकरण सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा से आराम से चलाए जा सकेंगे। लेकिन सूर्य घर योजना से हर घर को 300 यूनिट बिजली हर घर को मिलने का दावा किया गया है, इससे उम्मीद की जा सकती है कि मोदी की गारंटी से गांवों में खुशहाली लाने के मद्देनजर हर घर में उजियारा फैलाने का कदम काबिलेतारीफ है।
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