राहुल का आत्मविश्वास
संसद के विशेष सत्र के निपटने के बाद, अब पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की तैयारियां शुरू हो गयी लगती हैं। ये विधानसभा चुनाव इसलिए और भी महत्त्वपूर्ण हैं कि इनके फौरन बाद, अगले साल की दूसरी तिमाही में आम चुनाव होने हैं।
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इसके कारण इन चुनावों को सेमी-फाइनल कहा जा रहा है। इन चुनावों का एक अतिरिक्त महत्त्व यह है कि उत्तर-पूर्व के एक राज्य को छोड़कर, इस चक्र में उत्तरी भारत के तीन राज्यों-मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान-और दक्षिण में, तेलंगाना में चुनाव होना है, जिसके नतीजों से, आने वाले आम चुनाव को लेकर संभावनाएं काफी प्रभावित होने वाली हैं।
इसमें भी, तीनों हिंदीभाषी राज्यों में कांग्रेस और भाजपा के बीच कमोबेश सीधा मुकाबला है, जबकि तेलंगाना में भी कांग्रेस मुख्य मुकाबले में जरूर है। इसे देखते हुए कांग्रेस के शीर्ष नेता, राहुल गांधी का प्रचार में उतरने के पहले यह दावा करना अहम है कि उनकी पार्टी मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में निश्चित रूप से जीत रही है, जबकि राजस्थान में जीतने के करीब है और तेलंगाना में भी जीत सकती है।
बेशक, किसी भी नेता के चुनाव से पहले के दावों की तरह, इस दावे को भी बहुत ज्यादा गंभीरता से नहीं लेना ही उचित होगा। फिर भी इसमें वास्तविकता को पहचानने का स्वर है, उसे पूरी तरह से अनदेखा भी नहीं किया जा सकता है। सभी प्रेक्षक इस पर एकमत हैं कि छत्तीगढ़ की कांग्रेस सरकार के विपरीत, मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार और राजस्थान की कांग्रेस सरकार को, वापसी के लिए कठिन लड़ाई का सामना करना पड़ेगा। तेलंगाना की स्थिति भी इससे बहुत अलग नहीं है।
चुनावों का यह चक्र आम तौर पर कांग्रेस में एक नये आत्मविश्वास का और खासतौर पर हिंदी पट्टी में उसमें नया आत्मविश्वास आने का इशारा करता है। और इसमें आने वाले आम चुनाव के लिए खास संकेत है क्योंकि उत्तर प्रदेश तथा बिहार को छोड़कर,हिंदी पट्टी में भी ‘इंडिया’ नाम से उभर रही विपक्षी गोलबंदी के केंद्र में कांग्रेस ही है।
ऐसे में अगर चुनावों का यह चक्र उल्लेखनीय उत्साह पैदा कर पाता है, तो इससे विपक्षी कतारबंदी को नयी गति तथा धार मिलेगी। और यह आने वाले चुनाव को एक खुला मुकाबला बना सकता है, जिसमें तराजू का कोई भी पलड़ा भारी हो सकता है।
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