‘तैयार हैं हम’ का संदेश

Last Updated 05 Sep 2023 01:22:59 PM IST

दिल्ली में जी-20 के शिखर सम्मेलन के पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लंबे इंटरव्यू का एक खास मकसद है।


‘तैयार हैं हम’ का संदेश

हालांकि इनमें बहुत सारी बातें पुरानी हैं। एकाध बातों को छोड़कर। पर वर्तमान में इसका प्रयोजन भारत की अंगड़ाई लेतीं वैश्विक महत्त्वाकांक्षाओं से देश-दुनिया को साक्षात्कार कराना है। इसके जरिए मोदी ‘तैयार हैं हम’ का भरोसा भिन्न व्यवस्थाओं से संचालित होने वाले भूगोल और उनमें रहने वाली पूरी मानवजाति को देना चाहते हैं। यह भरोसा भारत की ठोस आर्थिकी,भौतिक-भौगोलिक, वैज्ञानिक एवं जनसांख्यिकीय विलक्षणता का है, जो परम्परागत दूरदर्शिता, गुणवत्ता एवं युवा आबादी की क्षमता-कौशल से भरपूर है।

प्राय हर क्षेत्र में इसकी उपलब्धि के निशान हैं। भारत ने वैश्विक संकट-आतंकवाद, कोरोना जैसी महामारी में नुकसान सह कर भी सहायता देने की मानवीय प्रतिबद्धता दिखाई है। जलवायु परिवर्तन जैसी समस्या पर उसकी सक्रियता ने रास्ता दिखाया है। इसके बावजूद, दक्षिण एशिया और अफ्रीकी महादेश तक विकसित होने के लिए संघषर्रत हैं। यह केवल एकांगी और विखंडनवादी यूरोपीय दर्शन से दुनिया को हांकने का नतीजा है।

उन्हें बराबरी तक लाने के लिए विकास का जीडीपीए आधारित दृष्टि नहीं बल्कि भारत के अविभेदकारी मूल दर्शन ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ यानी संसार एक परिवार है, के तहत मानवीय दर्शन को अपनाना होगा। इसमें सभी विचारों-दर्शनों के फलने-फूलने की एक सामूहिक विविधता है। संयुक्त राष्ट्र के सम्यक विस्तार की यही उचित दृष्टि होनी चाहिए। भारत इसी बुनियाद पर सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य का दावा करता रहा है।

मोदी कहना चाहते हैं कि भारत का रवैया वैश्विक नेतृत्व के मानकों के एकदम अनुरूप है। दुनिया को इस भारत का इस्तकबाल करना चाहिए। जी-20 की वाषिर्क अध्यक्षता एवं उसकी मेजबानी एक सुबूत है। खर्चीला होने के बावजूद भारत में इसका आयोजन उसके कद को और ऊंचा करने के लिए जरूरी है। इंदिरा गांधी के समय हुए गुटनिरपेक्ष सम्मेलन या एशियाड के जरिए यह स्थापित करना था कि भारत संपेरों या भूखे-नंगों का देश नहीं है।

लेकिन मोदी अब ‘जीरो से इसरो तक’ में तथ्यों के साथ भारत के नायकत्व की ठोस दावेदारी कर रहे हैं। वे कश्मीर एवं अरुणाचल में चीन की आपत्तियों को साहस से खारिज कर रहे हैं। वहीं, देश को संदेश दे रहे हैं कि यह सब स्थिर सरकार (उनकी) के रहते ही संभव हुआ है। वे युवा आबादी पर दांव लगा कर अगले चुनाव में बाजी पलटने की तैयारी में भी हैं।



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