समिति से उम्मीदें

Last Updated 04 Sep 2023 01:35:01 PM IST

केंद्र सरकार ने लोक सभा, विधानसभाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर गौर करने और जल्द-से-जल्द तत्संबंधी सिफारिशें देने के लिए शनिवार को एक उच्चस्तरीय आठ सदस्यीय समिति अधिसूचित कर दी।


समिति से उम्मीदें

समिति की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे। समिति तुरंत ही काम शुरू कर देगी। हालांकि समिति के सदस्य बनाए गए लोक सभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने देर शाम गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर समिति का सदस्य बनने से इनकार कर दिया। अमित शाह को लिखे अपने पत्र में अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘मुझे उस समिति में काम करने से इनकार करने में कोई झिझक नहीं है, जिसके संदर्भ की शत्रे उसके निष्कषरे की गारंटी देने के लिए तैयार की गई हैं। मुझे डर है कि यह पूरी तरह से धोखा है।’

दरअसल, एक राष्ट्र, एक चुनाव कोई नई अवधारणा नहीं है। देश में 1967 तक लोक सभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते रहे थे लेकिन उसके बाद यह सिलसिला टूट गया। हालांकि इसके लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जिम्मेदार ठहराया गया। परंतु हकीकत यह थी कि राजनीतिक दलों को बहुमत मिलने में दिक्कतें आने लगी थीं। कई दलों ने मिलकर ताकतवर पार्टी से टक्कर लेना शुरू कर दिया। 1969 में उत्तर प्रदेश में मिलकर सरकार बनाने ने तो पूरा परिदृश्य ही बदल डाला।

कहा जाता है कि एक राष्ट्र, एक चुनाव कराने से सरकारी खजाने पर चुनाव से पड़ने वाला बोझ कम हो सकेगा। यह भी कहा जाता है कि बार-बार चुनाव कराने से चुनाव संहिता लगानी पड़ती है, जिससे विकास संबंधी नई परियोजनाओं की घोषणा में देरी होने से भी देश को समय और उत्पादकता की दृष्टि से नुकसान होता है। बहरहाल, जिस तरह से सरकार ने आनन फानन में एक उच्चस्तरीय समिति के गठन की बाबत अधिसूचित किया है, उसमें एक प्रकार की जल्दबाजी दिखाई दे रही है।

समिति को तुरंत काम में जुट जाने को कहे जाने से भी इस शंका की तस्दीक होती है। ऐसे में इसकी गारंटी नहीं कि समिति की सिफारिशें मिलते ही जल्दबाजी का नजारा देखने को नहीं मिलेगा। चुनाव सुधारों की बात देश में हमेशा ही विमर्श का मुद्दा रही है। साथ चुनाव कराने को भी इसी का हिस्सा माना जा सकता है, लेकिन हड़बड़ी में कोई फैसला लिया जाना उचित नहीं होगा। लोकतांत्रिक तकाजा है कि सभी पक्षों के विचारों और सुझावों को धैर्य से सुनकर सिफारिशें प्रस्तुत की जाएं। उम्मीद है कि समिति इस तरफ गौर करेगी।



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