Pratapgarh से शर्मसार कर देने वाली घटना
राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में एक आदिवासी महिला को निर्वस्त्र घुमाने के मामले में दस लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। आदिवासी बहुल धरियावद इलाके की इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद सरकार हरकत में आई।
![]() शर्मनाक मंजर |
वीडियो में महिला के कपड़े जबरन उतारे जा रहे हैं। वह रोते हुए गिड़गिड़ा रही है। तमाशबीन भीड़ घटना का जरा भी विरोध नहीं कर रही। पीड़िता द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में पति कान्हा गमेती का नाम भी शामिल है। सूरज, वेणिया, नाथू, नेतिया और महेंद्र को भी आरोपी बनाया है। कथित तौर पर वे कान्हा के ही साथी हैं। इसे वैवाहिक विवाद बताया जा रहा है। आरोपी महिला के ससुरालपक्षी हैं। पुलिस ने सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और चार को हिरासत में ले लिया है।
इनमें एक नाबालिग भी बताया जा रहा है। बेशक, यह पारिवारिक मसला ज्यादा है। मगर जिस तरह का वीडियो वायरल हुआ है, उसे देख कर गुनाह काबिल-ए-माफी कतई नहीं कहा जा सकता। घरेलू हिंसा अपने यहां दांपत्य जीवन को बुरी तरह जकड़े हुए है। पति व वर पक्ष के भीतर विशिष्टता का भाव कमजोर नहीं हो रहा। वे महिलाओं के प्रति दुराग्रहों से बुरी तरह जकड़े होते हैं। दंपति के दरम्यान होने वाले झगड़े को स्वाभाविक भी मान लिया जाए तो सार्वजनिक तौर पर पत्नी के कपड़े फाड़ने वाले की अनदेखी करना कतई उचित नहीं है।
निराशाजनक बात यह है कि तमाशबीन भीड़ में शामिल लोग निजी मसला कह कर बीच-बचाव करने से भी कतराते हैं। हम तेजी से ऐसे समाज में तब्दील होते जा रहे हैं, जिसका दायरा सिमट रहा है। लड़ाई-झगड़े में रस लेने वाले, मौज-मजे के लिए घटना का तुरत-फुरत वीडियो बनाने में ज्यादा उत्सुक रहते हैं। मामले की गंभीरता को समझते हुए आरोपियों को कड़ी हिदायत देकर इसे सुलटाने का प्रयास किया जाना चाहिए। चूंकि राज्य में चुनाव का समय करीब है, इसलिए मौके का लाभ लेने के लोभ में राजनीतिक कूद-फांद भी जारी है।
यदि मसले को ज्यादा तवज्जो दी गई तो भविष्य में यह पुलिस-प्रशासन के लिए विकराल समस्या बन सकता है। सामाजिक/पारिवारिक झगड़ों के दरम्यान राजनीति का आना संदेश नहीं देता। स्त्री की इज्जत सरेराह उतारने में जुटे आरोपियों को ही नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों को भी सबक देने के लिहाज से सांकेतिक सजा देकर सुलह कराने का प्रयास करना चाहिए।
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