वर्ल्ड चैंपियन नीरज
नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने बुडापेस्ट विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप (Budapest World Athletics Championships) में जेवेलिन (Javelin Throw) का स्वर्ण पदक जीतकर देश को खुशी से सराबोर कर दिया है।
![]() नीरज चोपड़ा |
नीरज को आमतौर पर पहली थ्रो में ही बेस्ट देने वाला माना जाता है। पर यहां पहली में फाउल होने के बाद वह दूसरी थ्रो में 88.13 मीटर की थ्रो से देशवासियों के चेहरों पर थोड़ा सुकून का भाव देने में कामयाब हो गए थे। हालांकि पाकिस्तान के नदीम जब आखिरी थ्रो करने आए तो सभी के मन में थोड़ी घबराहट थी पर वह जल्द खत्म हो गई और नीरज विश्व विजेता बनकर जेवेलिन के सभी प्रमुख खिताब जीतने वाले थ्रोअर बन गए।
वह इससे पहले टोक्यो ओलंपिक, डायमंड लीग, एशियाई खेल और कॉमनवेल्थ गेम्स के स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। नीरज चोपड़ा की सफलताओं का ही परिणाम है कि एथलेटिक्स में युवाओं ने फोकस बनाया है और इसके परिणाम जेवेलिन में नीरज के अलावा किशोर जेना और डीपी मनु का फाइनल में स्थान बनाना रहा। नीरज के अलावा भारतीय पुरुष रिले टीम के शानदार प्रदर्शन करने से एथलेटिक्स में भविष्य उज्जवल दिखने लगा है।
यह सही है कि इस विश्व चैंपियनशिप में भारत नीरज के इकलौते स्वर्ण के साथ ही लौटा है। पर इस चैंपियनशिप में भारतीय प्रदर्शन अगले माह चीन के हांगझोउ में होने वाले एशियाई खेलों में पदकों का अंबार लगाने के तौर पर देखा जा रहा है। नीरज इस साल की शुरुआत में जब कोहनी की चोट से लौटे थे, तब लगा था कि क्या वह टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण जीतने वाली लय को पा सकेंगे। नीरज ने डायमंड लीग खिताब से ही जता दिया था कि वह पूरी लय में हैं और अब विश्व खिताब जीतने से वह अगले साल पेरिस में होने वाले ओलंपिक खेलों में स्वर्ण जीतने के प्रमुख दावेदार बन गए हैं।
वह यदि पेरिस ओलंपिक में भी स्वर्ण जीत जाते हैं तो लगातार दो ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन जाएंगे। नीरज जैसे प्रदर्शन युवाओं को खेल में आकषिर्त करते हैं। हम विनाथन आनंद की सफलता से भारतीय शतरंज में आए बदलाव को पिछले दिनों देख चुके हैं। एथलेटिक्स में भी शतरंज जैसे सुधार की उम्मीद की जा सकती है। वैसे तो भारतीय एथलीट पिछले कुछ सालों से अपने प्रदर्शन का प्रभाव छोड़ रहे हैं। पर उनके प्रदर्शन में आए सुधार की सही परख पहले एशियाई खेलों और फिर ओलंपिक खेलों में ही हो सकती है।
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