Manipur Issue : भरोसे का संकट

Last Updated 23 Aug 2023 01:43:04 PM IST

मणिपुर में जातीय हिंसा के पीड़ितों के राहत और पुनर्वास कार्यों पर निगरानी के लिए पूर्व न्यायाधीश गीता मित्तल की अगुवाई में गठित समिति ने सोमवार को सर्वोच्च अदालत में तीन रिपोर्ट सौंपीं।


भरोसे का संकट

शीर्ष अदालत ने कहा कि रिपोर्टों के आलोक में 25 अगस्त को ‘कुछ प्रक्रियागत निर्देश’ जारी करेगी। अदालत ने 7 अगस्त को पीड़ितों के राहत एवं पुनर्वास कायरे और उन्हें दिए जाने वाले मुआवजे पर निगरानी के लिए उच्च न्यायालय की तीन पूर्व न्यायाधीशों की एक समिति गठित करने का निर्देश दिया था।

इस बीच, बीरेन मंत्रिमंडल द्वारा राज्यपाल अनुसुइया उइके से 21 अगस्त से विधानसभा सत्र बुलाने की सिफारिश करने के बावजूद सोमवार को सदन की बैठक नहीं हुई।

गौरतलब है कि पिछला विधानसभा सत्र मार्च में अनिश्चितकाल के स्थगित कर दिया गया था इसलिए संवैधानिक बाध्यता है कि अगला सत्र दो सितम्बर से पहले बुलाया जाए। राज्य में स्थिति तनावपूर्ण और चिंताजनक है और मंत्रिमंडल की सिफारिश के बावजूद राजभवन ने इस बाबत ‘आधिकारिक अधिसूचना’ जारी नहीं की है।

राज्य विधानसभा का हर छह महीने पर सत्र आयोजित किया जाना अनिवार्य है। राज्य सरकार चाहती है कि सत्र बुलाया जाए, लेकिन अभी तक राजभवन की तरफ इस बाबत अधिसूचना जारी नहीं हुई है जबकि सत्र बुलाने से कम-से-कम 15 दिन पहले अधिसूचना जारी होनी चाहिए। दरअसल, भ्रम की स्थिति इसलिए ज्यादा बनी कि विभिन्न दलों से जुड़े कुकी समुदाय के 18 विधायकों ने विधानसभा सत्र में शामिल होने में असमर्थता जताई है। वे हिंसा के मौजूदा हालात में सत्र में हिस्सा न लेने में ही भलाई समझ रहे हैं। उनकी यह भी मांग है कि हिंसा की रोकथाम के लिए कुकी का अलग प्रशासन हो।

नागा समुदाय से जुड़े विधायक भी सत्र बुलाए जाने के पक्ष में नहीं हैं। उन्हें लगता है कि सरकार नागा शांति वाता में बाधा डाल रही है। बहरहाल, अभी जो हालात हैं, उनसे राज्य में पूरी तरह भ्रम की स्थिति बन चुकी है। तीनों प्रमुख समुदायों कुकी, मैतई और नागा के बीच परस्पर विश्वास रह नहीं गया है, बल्कि तीनों समुदाय मौजूदा घटनाक्रम के चलते शंका में हैं। लेकिन राज्य सरकार उन्हें भरोसा नहीं दिला पा रही। समूचा मणिपुर हिंसा के साथ ही विलगाव और भरोसे के संकट से भी जूझ रहा है। यह संकट बना रहा तो स्थिति साजगार नहीं रह जाएगी। मणिपुर के पर्वतीय जिलों में तीन मई से भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।



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