तंबाकूमुक्त हो समाज
बाल अधिकार एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ओटीटी प्लेटफार्म्स पर तंबाकू उत्पादों के उपयोग संबंधी दृश्यों के साथ चेतावनी की अनिवार्यता को लाखों बच्चों के लिए बेहद उपयोगी बताया।
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बच्चों को तंबाकूमुक्त माहौल दिलाने के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राष्ट्रीय अभियान व्यसनमुक्त अमृतकाल की शुरुआत की। तंबाकूमुक्त भारत नाम से शुरू अभियान में देश भर से बीस लाख बच्चों को जोड़ने तैयारी है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार सुधार मंत्रालय ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर एंटी टौबेको वार्निग मैसेज को लेकर नये नियम जारी किए हैं।
ऑनलाइन कंटेंट पब्लिसर इनका पालन नहीं करेगा तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी। स्वास्थ्य एवं परिवार सुधार मंत्रालय, सूचना प्रसारण मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं इंफॉरमेशन टेक्नोल्ॉजी मंत्रालय के प्रतिनिधियों वाली कमेटी इस पर स्वत: कार्रवाई करेगी। दुनिया भर में प्रति वर्ष तंबाकू खाने/पीने के कारण अस्सी लाख मौत होती हैं जिनमें अकेले साढ़े तेरह लाख भारतमें होती हैं। वि स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में तंबाकू का सेवन करने वाले वयस्क 29% हैं, जबकि 13-15 साल के 15% बच्चे धूम्रपान करते हैं।
वास्तव में बाल मन पर मनोरंजन उद्योग का गहरा असर होता है। आरोप लगते रहे हैं कि ओटीटी पर इनका लगातार उल्लंघन हो रहा है। तंबाकू व ड्रग्स को स्कूल परिसर व बच्चों से दूर रखने के नियम पहले से जारी हैं। बावजूद इसके खुलेआम सिगरेट, तंबाकू व पानमसालों की बिक्री हो रही है। कहने को ओटीटी पर नजर आने वाले तंबाकू सेवन के दृश्यों के साथ चेतावनी असरदायक होसकती है।
मगर असलियत यह है कि सरकारों ने करों से होने वाले भारी मुनाफे के लोभ में तंबाकू ही नहीं, शराब व अन्य नशीले पदाथरे की बिक्री पर कभी लगाम ही नहीं कसी। नाबालिगों को ये आसानी से उपलब्ध हैं। घर के भीतर इन नशों का उपयोग करने वाले वयस्कों के साथ या चोरी-छुपे प्रयोग भी धड़ल्ले से हो रहा है। इन पर कौन सी चेतावनी कारगर हो सकती है।
सड़कों, सार्वजनिक स्थलों पर लगे विशाल होर्डिग्स, चटखीले विज्ञापनों में नशीले पदाथरे का विज्ञापन करने वाले स्टारों से प्रभावित होने वाले किशोरों को भी रोकने की जरूरत है। बच्चों को जागरूक किए जाने का कदम सार्थक है। मगर इसे सख्ती से और नियमित रखा जाए।
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