आपसी रिश्तों के नये आयाम
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड (Prime Minister of Nepal Pushpa Kamal Dahal Prachanda) की भारत यात्रा कूटनीतिक और राजनीतिक, दोनों दृष्टियों से विशेष महत्त्व रखती है।
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प्रचंड दिसम्बर, 2022 में तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने थे। प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद उनकी यह पहली विदेश यात्रा है। प्रचंड 2008 में जब पहली बार प्रधानमंत्री बने थे तब उन्होंने नई दिल्ली की बजाय बीजिंग को ज्यादा महत्त्व दिया था और चीन की यात्रा की थी। कयास लगाया जा रहा था कि चीन समर्थक माने जाने वाले प्रचंड इस बार भी चीन को ज्यादा महत्त्व देंगे। लेकिन लगता है कि डेढ़ दशक के राजनीतिक अनुभवों से मिली राजनीतिक परिपक्वता अतीत की गलतियों को सुधारने में मददगार साबित हुई है।
हालांकि पंद्रह साल के इस कालखंड में भारत, नेपाल और चीन के संबंधों में काफी बदलाव आ गए हैं। 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के अतिक्रमण के बाद दोनों देशों के संबंध सामान्य नहीं हैं। वैिक परिदृश्य भी बदल गया है। राजनीतिक और आर्थिक, दोनों मोचरे पर चीन अमेरिका को आंखें दिखाने लगा है। अपनी भू-राजनीतिक स्थिति के कारण नेपाल शुरू से महाशक्तियों के आकषर्ण का केंद्र रहा है। लेकिन जब से अमेरिका चीन की सक्रियता और उसकी विस्तारवादी नीतियों को नकेल लगाने के अभियान में जुटा है तब से नेपाल की भूमि इन दोनों महाशक्तियों का अखाड़ा बनी हुई है।
नेपाल अपनी भू-राजनीतिक बनावट के कारण अपने दो बड़े पड़ोसी देशों भारत और चीन के बीच सैंडविच की तरह है। इसीलिए आधुनिक नेपाल के संस्थापक पृथ्वी नारायण शाह ने अपने उत्तराधिकारियों को नसीहत देते हुए कहा था कि भारत और चीन के साथ समान दूरी बनाकर चलना है। अब इस पृष्ठभूमि में भारत को नेपाल के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ठीक ही कहा है कि भारत-नेपाल अपने रिश्तों को हिमालय की ऊंचाई पर ले जाएंगे और इसी भावना से सीमा और अन्य विवादों को सुलझाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी और नेपाली प्रधानमंत्री प्रचंड के बीच द्विपक्षीय वार्ता के दौरान दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सात समझौते हुए। गौर करने वाली बात यह है कि नेपाल के साथ जो परियोजनाएं चल रही हैं, उन्हें जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए। उम्मीद की जानी चाहिए कि दोनों देशों के आपसी रिश्तों को नई ऊंचाई मिलेगी।
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