लोकतंत्र का नया अध्याय

Last Updated 30 May 2023 01:14:54 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को वैदिक अनुष्ठान के साथ नए संसद भवन का लोकार्पण कर दिया।


लोकतंत्र का नया अध्याय

इस तरह नए भारत को नया संसद मिल गया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में अतीत के गौरव के साथ भविष्य के राष्ट्रीय कल्पना को रेखांकित किया। उन्होंने नए संसद को मात्र एक भवन नहीं बताया। उनका विश्वास है कि यह भवन 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है और विश्व को भारत के दृढ़ संकल्प का संदेश देता लोकतंत्र का मंदिर है। वास्तव में सभी देशवासियों के लिए गौरवान्वित करने वाला यह क्षण था।

समूचे देश को यह अपेक्षा है कि लोकतंत्र का यह नया मंदिर भारतीय समाज के बहुलतावादी संस्कृति को अक्षुण्ण रखेगा। भारत ने दुनिया को दिखाया है कि अनेक बाधाओं के बावजूद हमारे देश की लोकतंत्र की जड़े मजबूत हुई हैं। ब्रिटिश और अन्य पश्चिमी औपनिवेशिक सत्ता से मुक्त होने वाले एशिया-अफ्रीका के अधिकांश देशों में से एक भारत ही ऐसा देश है जो लोकतंत्र के साथ विश्व का तीसरा ध्रुव बनने के पथ पर अग्रसर है।

यह हमारी लोकतंत्र की ही ताकत है कि विभिन्न भाषा के विश्वासों, उपासना स्थलों, जातीय समूहों और विभिन्न भाषा के लोक एकता के सूत्र में बंधकर देश को विकसित और उन्नत राष्ट्र बनाने में अपना सहयोग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नया संसद भवन समय की मांग थी। पुराने भवन में तकनीक की समस्याएं थी और जगह भी कम पड़ रही थी। वास्तव में देश की बढ़ती आबादी के अनुपात में वर्ष 2026 में लोक सभा और राज्य सभा की सीटों का परिसीमन होना है।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए नए संसद भवन में 1272 सांसदों के बैठने की व्यवस्था भी की गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस भवन में विरासत भी है, वास्तु भी है, कला भी है, कौशल भी है, संस्कृति भी है, संविधान के स्वर भी हैं। सच कहा जाए तो नया संसद भारत के संसदीय इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ता है। लेकिन संसद भवन के लोकापर्ण के अवसर पर प्रमुख विपक्षी दलों को शामिल नहीं होना इतिहास में दुखद घटना के के रूप में याद किया जाएगा। विपक्ष को राष्ट्रपति से संसद भवन का उद्घाटन कराने के मुद्दे को इतना अधिक तूल दिए जाने की जरूरत नहीं थी। हालांकि सरकार की ओर से भी विपक्ष को मनाने के लिए गंभीर प्रयास नहीं किए गए। विधि का शासन जब तक पूरी तरह लागू नहीं हो पाता है तब तक लोकतंत्र भी सच्चे अथरे में मजबूत नहीं हो पाएगा।



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