Manipur : कब थमेगी हिंसा
पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर (Manipur violence) में हिंसा की आग महीने भर बाद भी थम नहीं रही है। ताजा हिंसा में राज्य में सुरक्षा बलों ने 40 कुकी उग्रवादियों को मार गिराया है।
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रविवार को भड़की हिंसा में एक महिला समेत 10 लोगों की मौत हो गई। इनमें असम पुलिस के दो कमांडो भी शामिल हैं। जबकि राज्य में 36 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं। राज्य की खराब हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सेना प्रमुख दो दिनों से राज्य में हैं, इसके बावजूद उग्रवादियों के हमले कम नहीं हो पा रहे हैं। जितने भी उग्रवादी हैं, सबके पास एके-47 और ए 16 जैसे अत्याधुनिक हथियार हैं। उग्रवादी लोगों की भीड़ की आड़ में हमले कर रहे हैं, जो सुरक्षा बलों के लिए ज्यादा चिंता का विषय है।
उग्रवादियों के बढ़े मनोबल का असर ही कहा जाएगा कि ये लोग बिना किसी डर के निर्दोष लोगों की न केवल हत्या कर रहे हैं बल्कि घरों में लूटपाट और आगजनी के अलावा अर्धसैनिक बलों के हथियार भी लूट रहे हैं। साफ है कि राज्य की स्थिति बेहद गंभीर है। केंद्रीय गृह मंत्री भले राज्य के दौरे पर हैं और उन्होंने शांति की अपील भी की है, मगर राज्य के हालात सुधरने में लगता है ज्यादा मेहनत की दरकार है। क्योंकि अमित शाह के दौरे के ठीक पहले जिस तरह रविवार को भी नागरिकों को निशाना बनाया गया, वह वाकई चिंता का सबब है।
ज्ञातव्य है कि पिछले महीने हुई हिंसा में 80 से ज्यादा लोग मारे गए थे। ताजा हिंसा की दो प्रमुख वजहें हैं। एक है बहुसंख्यक मैती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का फैसला जिसका कुकी और नागा समुदाय विरोध कर रहे हैं। कुकी और नागा समुदाय को आजादी के बाद से ही आदिवासी का दर्जा मिला हुआ है। दूसरी वजह है गवर्नमेंट लैंड सर्वे। बीजेपी की अगुआई वाली राज्य सरकार ने रिजर्व्ड फॉरेस्ट यानी आरक्षित वन क्षेत्र को आदिवासी ग्रामीणों से खाली कराने का अभियान चला रही है।
कुकी समुदाय इसके विरोध में है। वैसे, राज्य के मुख्यमंत्री एन. वीरेन सिंह ने राज्य का ताना-बाना न बिगड़ने देने का दावा किया है, मगर जब तक इस मसले पर सरकार कोई युक्तिसंगत फैसला नहीं लेगी, हिंसा नहीं थमने वाली। चूंकि गृह मंत्री अमित शाह राज्य के दौरे पर हैं तो यह उम्मीद की जानी चाहिए कि महीने भर से ज्यादा समय से चल रही जातीय हिंसा का दौर पूरी तरह थम जाएगा।
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