जम्मू-कश्मीर : आतंक के खिलाफ ऑपरेशन

Last Updated 08 May 2023 01:29:07 PM IST

जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के राजौरी जिले (Rajouri Distt) में आतंकी वारदात के बाद सुरक्षाबलों ने अपने तेवर सख्त कर लिये हैं। घने जंगली क्षेत्र में जारी अभियान के दौरान सुरक्षा बलों ने शनिवार को एक आतंकवादी को मार गिराया।


जम्मू-कश्मीर : आतंक के खिलाफ ऑपरेशन

इससे पूर्व शुक्रवार को आतंकवादियों द्वारा किए गए विस्फोट में सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे। एक मेजर घायल हुए। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े संगठन ‘पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट’ ने हमले की जिम्मेदारी ली है। इस घटना के एक दिन बाद ही शनिवार को सेना ने ‘ऑपरेशन त्रिनेत्र’ शुरू कर दिया। कुछ दिन पहले पूंछ जिले में आतंकी घटना में पांच जवान शहीद हुए थे।

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के इन दोनों जिलों-पूंछ और राजौरी-को एक दशक से भी अधिक समय पहले आतंकवाद मुक्त घोषित कर दिया गया था। लेकिन इन जिलों में अक्टूबर, 2021 से लेकर अब तक किए गए आठ हमलों में 26 सैनिकों समेत कुल 35 लोगों की जान गई है। इससे लगता है कि सुरक्षा बलों का स्थानीय खुफिया तंत्र कमजोर पड़ गया है। और हाल के दिनों में दोनों जिलों में एक के बाद एक हमले से तो पक्का यकीन हो चला है कि आतंकवादी यहां खासी पैठ बना चुके हैं।

जरूरी है कि इलाके की पूरी तरह कॉम्बिंग की जाए। आतंकवादियों को सहयोग करने का जिन पर भी संदेह हो उन्हें हिरासत में लेकर गहन पूछताछ की जानी चाहिए। गौरतलब है कि बीते दो साल में इन जिलों में आतंकी घटनाएं बढ़ने पर सुरक्षा बलों ने क्षेत्र में सख्ती से अभियान चलाया जिससे संभव है कि बौखला कर आतंकवादियों ने पिछले दिनों एक के बाद एक दो बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है। सैन्य अधिकारियों का भी मानना है कि आतंकवादियों ने सैनिकों का ध्यान भटकाने के लिए हमलों में विस्फोटक लगाने जैसी रणनीति अपनाई है।

बहरहाल, सुरक्षा बलों की कार्रवाई में स्थानीय लोगों से सहयोग मिलना जरूरी है। जम्मू-कश्मीर के इस इलाके में आतंकवादियों को अपने मंसूबे पूरे करने में शुरू से ही दिक्कत दरपेश रही है। कारण, स्थानीय निवासियों ने सुरक्षा बलों को हर जानकारी मुहैया कराई। इसी इलाके में 2003 में ‘ऑपरेशन सर्प विनाश’ चलाया गया था, जिसमें खुफिया तंत्र और स्थानीय लोगों के सहयोग से आतंकवादियों का सफाया किया गया। 2017 में ‘ऑपरेशन ऑलआउट’ तो आतंकियों के सफाये के लिहाज से काफी सफल रही। दरअसल, ‘ऑपरेशन त्रिनेत्र’ जैसे अभियानों की सफलता के लिए जरूरी है कि स्थानीय लोगों का ज्यादा से ज्यादा सहयोग लिया जाए।



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