मामूली नहीं है मसला
मणिपुर (Manipur violence) में अब तक हिंसक झड़पें, मारकाट और लूटमार चालू है। राजधानी इम्फाल (Imphal) समेत अन्य इलाकों में जातीय संघर्ष का दौर थमा नहीं है।
![]() मामूली नहीं है मसला |
अब तक 54 लोगों के मारे जाने की खबरें हैं, हालांकि आधिकारिक तौर पर कोई संख्या नहीं बताई गई है। गवनर्मेंट लैंड सर्वे व हाई कोर्ट के आदेश के बाद समूचा राज्य हिंसा की चपेट में (Manipur in the grip of violence)आ गया। दस सालों से मांग कर रहे मैतई समुदाय को जनजाति का दर्जा देने को अदालत के कहते ही आदिवासियों के साथ झड़पें चालू हो गई।
कुकी आदिवासी (cookie tribal) बहुल चुराचंद जिले (Churachand district) से तनाव की शुरुआत हुई जहां ट्राइबल फोरम (Tribal Forum) के आठ घंटे के बंद के ऐलान के बाद पुलिस और उपद्रवियों में झड़पें शुरू हो गई। कुकी और नागा सड़कों पर आ गए। राज्य की पहाड़ी जनजातियों को स्पेशल कांसिटय़ूटशनल प्रिविलेज (Special Constitutional Privilege) प्राप्त हैं, जो मैतई को अब तक नहीं मिले थे। इसलिए वे पहाड़ी इलाकों में जमीन नहीं खरीद सकते थे। मैतई कहते हैं, उन्हें पहाड़ी इलाकों से अलग किया जा रहा है।
1949 में मणिपुर (Manipur) के भारत में विलय से पहले उन्हें जनजाति का दर्जा मिला ही हुआ था। उनका कहना है, उनके पूर्वजों की जमीन, भाषा, संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए यह जरूरी है जबकि कुकी कहते हैं, मैतई पहले ही संपन्न हैं, उनका राज्य में दबदबा है। ऐसे में उनके अधिकार कमजोर पड़ सकते हैं। मणिपुर के साठ विधायकों में चालीस मैतई समुदाय से हैं। यह झगड़ा जातिगत भले ही है परंतु इसकी बुनियाद में आर्थिक-सामाजिक स्तर भी शामिल हैं।
राज्य सरकार आरोप लगाती रही है कि संरक्षित जंगलों और वन अभ्यारण में गैर-कानूनी तौर पर अफीम की खेती की जाती है जबकि आदिवासी इसे पैतृक जमीन बता कर सरकार की मंशा पर आपत्ति जता रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा मणिपुर में अनुच्छेद 355 लगा कर कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी लेने का मतलब है कि स्थिति बेहद गंभीर हो चुकी है। इसका मतलब है कि राज्य सरकार कानून एवं व्यवस्था के मसले पर असफल रही है। कहते हैं कि कई महीनों से चिंगारी भड़क रही थी।
कई बार सरकारी तंत्र स्थिति की गंभीरता आंकने में पूर्णतया असफल सिद्ध होता है। इस तरह के संघर्ष अनूठे नहीं हैं। मगर इनको सुलझाने में सिर्फ एहतियात बरते जाने से बात नहीं बनती, बल्कि दोनों पक्षों की भावनाओं और परंपराओं को भी समझना जरूरी होता है।
Tweet![]() |