मन की बात : सबके मन की बात
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) की सौंवीं कड़ी पूरी हो गई है।
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इस अवसर पर देश और विदेश में जिस तरह का उत्साह देखा गया, उससे पता लगता है कि प्रधानमंत्री द्वारा सामान्य व्यक्ति के रोजमर्रा के जीवन को मन की बात में अपनी वार्ता का विषय बनाना निस्संदेह सराहनीय और अभिनव प्रयोग रहा है। प्रत्येक महीने के अंतिम रविवार को आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम में गैर-राजनीतिक मुद्दे उठाए जाते हैं जो सीधे-सीधे आम आदमी के सामाजिक जीवन से जुड़े होते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात को सबके मन की बात भी कहा जा सकता है।
उन्होंने कहा भी कि ‘मन की बात’ कोटि-कोटि भारतीयों के मन की बात है। उनकी भावनाओं का प्रकटीकरण है। प्रधानमंत्री मोदी का विास है कि मन की बात आज एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि आस्था, पूजा और व्रत है, आध्यात्मिक यात्रा है। ‘स्व’ से समिष्टि’ और ‘अहम’ से ‘वयम’ की यात्रा है। इसका अर्थ है कि मन की बात व्यक्ति से शुरू होकर सार्वभौमिक हो जाना और अहंकार से मुक्त होकर पूर्णता को प्राप्त करना है।
मन की बात की सौंवीं कड़ी संयुक्त राष्ट्र से लेकर अमेरिका, इंग्लैंड, यूक्रेन और न्यूजीलैंड तक देखी और सुनी गई। केंद्र और कई राज्यों में सत्तारूढ़ भाजपा ने सौंवीं कड़ी को विराट आयोजन में बदल दिया। पार्टी ने दावा किया है कि करीब चार लाख स्थलों पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत अभियान, आजादी का अमृत महोत्सव, खादी को लोकप्रिय बनाने और प्रकृति से जुड़े अपने कार्यक्रमों का जिक्र किया।
दसवीं और बारहवीं के बोर्ड की परीक्षाओं में छात्रों को होने वाले मानसिक तनाव जैसे मुद्दे भी इस कार्यक्रम में उठाए जाते हैं और तनाव से मुक्त होने के उपाय भी सुझाए जाते हैं। ये सभी वास्तविक मुद्दे हैं, और इनको सभी व्यक्तियों द्वारा राजनीति से परे देखा जाना चाहिए। भले ही विरोधी राजनीतिक दल इस कार्यक्रम की आलोचना करें, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सामान्य जन के मुद्दों को अपने संवाद के केंद्र में लाना सराहनीय पहल है।
वास्तविकता तो यह है कि गैर-राजनीतिक मुद्दों को महत्त्व देना भी एक महत्त्वपूर्ण बात है। अहम बात यह भी है कि प्रधानमंत्री मोदी ने कभी इस मंच का राजनीतिक इस्तेमाल नहीं किया। गौर करने वाली बात है कि जब प्रधानमंत्री की सामान्य व्यक्ति से बात होती है, और प्रधानमंत्री द्वारा सामान्य व्यक्ति की उपलब्धियों की चर्चा की जाती है, तो यह समूचा प्रसंग प्रेरक बन जाता है।
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