लुधियाना गैस लीक मामला: हादसा नहीं लापरवाही
रविवार को पंजाब (Punjab) के लुधियाना में गैस लीक (थudhiana gas leak) होने से ग्यारह लोगों की मौत हो गई। कुछ लोगों को बेहोशी की हालत में अस्पताल में दाखिल कराया गया है।
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ग्यासपुर (Gyaspur gas leak) की जिस गली में हादसा हुआ, उसके तीन सौ मीटर के इलाके में लोग सड़कों पर भी बेसुध मिले। मृतकों में दो बच्चों के साथ पांच महिलाएं और चार पुरुष हैं। हादसे के बाद मौके पर पहुंचे अधिकारियों को मौत का कारण पहली नजर में समझ नहीं आया।
बाद में बताया गया कि सीवरेज मैनहोल में हुए कैमिकल रिएक्शन (chemical reaction in sewerage manhole) से निकली गैसों के कारण मौतें हुई। इनमें एक डॉक्टर कापरिवार ही खत्म हो गया। दूसरे परिवार में साल भर का अनाथ बचा है। चालीस वर्षीय डॉक्टर, उनकी पत्नी व दो बेटे-एक बेटी मूल रूप से बिहार से थे। यहां तीस सालों से रह कर क्लीनिक चलाते थे।
हादसे के शिकार दूसरे परिवार में पति-पत्नी और मां की मौत हो गई। यह इंडस्ट्रियल एरिया है, जहां इंडस्ट्री से निकला वेस्ट सीवर में बहाया जाता है। बता रहे हैं, भीड़-भाड़ भरे रिहाइशी इलाके में बने मिल्क बूथ के करीब हादसा हुआ। घटना वाली रात हुई बारिश का फायदा उठाकर वेस्ट बहाने की कोशिश रही होगी। चश्मदीदों के अनुसार, जो भी उनके करीब जा रहा था, बेसुध होकर गिर जाता। एनडीआरएफ की टीम ने इलाके को सील किया और सीवर से सैंपल एकत्र किए।
उनके अनुसार, जांच में पता चला यह गैस हाइड्रोजन सल्फाइड (gas hydrogen sulfide) है। गैस की चपेट में आकर मारे गए लोगों के घर के सामने ही यह मैनहोल है। हादसे पर प्रधानमंत्री ने दुख जताया है, और मृतकों के परिवार को दो-दो लाख रुपये देने की घोषणा की। सीवर से निकलने वाली घातक गैसों की चपेट में आकर अक्सर सफाईकर्मी भी मारे जाते हैं। बावजूद इस गंभीर समस्या का कोई समाधान नहीं खोजा जाता।
इस सीवर में अगर इंडस्ट्रियल वेस्ट बहाया जा रहा था तो उसमें शामिल और मिलीभगत करने वालों पर सख्त कार्रवाई हो। कई बार स्थानीय लोग भी लापरवाही करते हैं, और गैर-कानूनी कामों की अनदेखी कर देते हैं। हर नागरिक का नैतिक दायित्व है कि वह इस तरह की किसी भी गतिविधि के खिलाफ डट कर खड़ा हो। हादसे में मारे गए लोगों को यही सार्वजनिक श्रद्धांजलि साबित हो सकती है। सरकार को भी केवल सांत्वना देकर संतुष्ट नहीं हो जाना चाहिए, बल्कि दोषियों को कड़ी सजा दिलाने के साथ ही आम जन को सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहने के संदेश भी देने चाहिए।
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