विदेशी मुल्कों में लगातार भारतीय दूतावासों और मंदिरों में हिंसक झड़प पर भारत की दो टूक
विदेशी मुल्कों में लगातार भारतीय दूतावासों और मंदिरों में हिंसक झड़प को लेकर भारत की सख्ती लाजिमी कही जाएगी।
![]() विदेशों में भारतीयों दूतावासों और मंदिरों में हिंसक झड़प पर भारत की दो टूक |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने बृहस्पतिवार को ब्रिटेन (Britain) के PM ऋषि सुनक (Rishi Sunak) से भारत विरोधी तत्वों पर कड़ी कार्रवाई करने को कहा है। हाल के महीनों में न केवल ब्रिटेन के भारतीय राजनयिक मिशन बल्कि कनाडा (Canada), ऑस्ट्रेलिया (Australia) और अमेरिका (America) में भारत विरोधी तत्वों ने मारपीट और हिंसा की।
कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तान समर्थकों (Khalistan supporters in Canada and Australia) ने कई बार वहां मौजूद भारतीय कर्मचारियों के साथ मारपीट की और तिरंगा का अपमान (Indian employees were assaulted and tricolor insulted) भी किया। ब्रिटेन में भारतीय दूतावास पर खालिस्तानी हमले के बाद 19 मार्च को दिल्ली में सरकार ने ब्रिटिश उच्चायोग, दूत के आवास के सामने से बैरिकेड्स और सुरक्षा हटा दी थी। यहां तक कि भारत सरकार ने विरोध दर्ज कराने के मकसद से यूनाइटेड किंग्डम के सबसे वरिष्ठ अधिकारी को तलब किया था।
ऐसी घटना वाकई अक्षम्य हैं और सरकार के लिए शर्मनाक स्थिति भी पैदा करती हैं। यही वजह है कि सुनक ने अपने समकक्ष की बातों से सहमति जताते हुए कहा कि ब्रिटेन भारतीय उच्चायोग पर हमले को पूरी तरह अस्वीकार्य मानता है, और भारतीय मिशन और उसके कर्मियों की सुरक्षा का वादा करता है। भारत ने हाल के वर्षो में अपनी कूटनीति से वैिक मंचों पर गहरा प्रभाव डाला है। कई देश भारत की विदेश नीति की न केवल सराहना करते हैं वरन उसका अनुसरण भी कर रहे हैं।
यहां तक कि पश्चिमी देशों को भी अपना अहम तज कर भारत के पीछे चलने को मजबूर होना पड़ा है। भारत की तरफ से लगातार विरोध करने का फलाफल यही है कि अब उन देशों को आतताई लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को मजबूर होना पड़ा है।
यह बदलाव भारतीय विदेश नीति की मजबूती का द्योतक है। मोदी के सत्तारूढ़ होने और विदेश मंत्री के पद पर एस. जयशंकर की नियुक्ति के बाद हालात भारत के अनुकूल बने हैं। देखना है, भारत की सख्त प्रतिक्रिया और खुद प्रधानमंत्री मोदी की अपील का कितनी जल्दी असर होता है। फिलहाल तो भारतीय दूतावासों पर हमले रुके हुए हैं, जो इस बात का संकेत दे रहे हैं कि मारपीट करने वाले अब बख्शे नहीं जाएंगे।
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