राज्यों को राहत
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित मामलों में निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय जीएसटी परिषद ने फैसला किया है कि राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के जून माह के सारे बकाया का जल्द भुगतान किया जाएगा।
![]() राज्यों को राहत |
इस फैसले से वित्तीय दबाव झेल रहे राज्यों को राहत मिलेगी। जीएसटी परिषद की 49वीं बैठक के उपरांत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि राज्यों का जून माह का जीएसटी बकाया 16,982 करोड़ रुपये है। पिछले साल मई तक की क्षतिपूर्ति का भुगतान राज्यों को किया जा चुका है।
राज्य जीएसटी क्षतिपूर्ति के बकाया के जल्द भुगतान की मांग कर रहे थे। जुलाई, 2017 में जीएसटी प्रणाली लागू किए जाने के समय व्यवस्था की गई थी कि प्रणाली को अपनाने पर राज्यों को कराधान में होने वाली क्षति की पूर्ति केंद्र सरकार करेगी। इस क्षतिपूर्ति का भुगतान सेस कलेक्शन से किया जाना है। चूंकि जीएसटी क्षतिपूर्ति फंड में कोई राशि नहीं है।
इसलिए सेस की वसूली से केंद्र इसकी भरपाई करेगा। जून, 2022 क्षतिपूर्ति व्यवस्था का आखिरी महीना था। बैठक में तय तिथि के बाद वाषिर्क जीएसटी रिटर्न भरने पर लगने वाले विलंब शुल्क को युक्तिसंगत बनाने का भी फैसला किया गया है। पेंसिल-शॉपर्नर जैसे उत्पादों पर जीएसटी लगाए जाने की खासी आलोचना हो रही थी।
इसलिए अब इन पर जीएसटी की दर 18 फीसद से घटाकर 12 फीसद की जाएगी। कुछ आइटमों पर जीएसटी में टैक्स लीकेज की बात सामने आ रही थी, जिस पर फैसला किया गया है कि ट्रैकिंग उपाय करके इसे रोका जाएगा ताकि कर संग्रहण बढ़ सके। दरअसल, जीएसटी प्रणाली देश में लागू होने के बाद से ही इसकी प्रणालीगत जटिलताओं को लेकर आवाज उठने लगी थीं।
परिषद की बैठकों में विचार करके जटिलाएं कम करने के सतत प्रयास हुए ताकि कर प्रणाली ज्यादा सरल और ग्राह्य बने। किसी भी बदलाव को स्वीकार्य बनाना होता है। एकदम से किसी बदलाव को अंगीकार करने की मन:स्थिति में जनमानस नहीं होता। जीएसटी को स्वीकारने में भी राज्यों ने पहले पहल हिचक दिखाई थी। उन्हें लगा कि इससे उनके कर संग्रहण में कमी आ सकती है। तब क्षतिपूर्ति की व्यवस्था ने उन्हें खासा सहज किया और उन्हें विश्वास हुआ कि जीएसटी प्रणाली अपनाने से उनका ज्यादा नुकसान नहीं होने पाएगा।
Tweet![]() |