चीन की वादाखिलाफी
विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयानों पर ध्यान दें तो साफ लगता है कि चीन के साथ सब कुछ सही नहीं चल रहा है।
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सरकार का जो रुख रहा है, और विदेश मंत्री वियना में जो कह रहे हैं, उसमें सामंजस्य का अभाव दिखता है। ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में राष्ट्रीय प्रसारक ओआरएफ को दिए साक्षात्कार में विदेश मंत्री ने कहा कि चीन ने सीमा मुद्दों पर भारत के साथ हुए समझौतों का पालन नहीं किया और वास्तविक नियंतण्ररेखा (एलएसी) पर एकतरफा बदलाव की कोशिश की। इस वजह से दोनों पड़ोसियों के बीच तनावपूर्ण स्थिति है। दोनों पड़ोसी देशों के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सुरक्षा बल नहीं रखने को लेकर समझौते हुए हैं।
हालांकि चीन ने उन समझौतों का पालन नहीं किया। दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंतण्ररेखा (एलएसी) को एकतरफा ढंग से नहीं बदलने का समझौता था, जिसे चीन ने एकतरफा ढंग से बदलने की कोशिश की है। चीन हमारे बारे में ऐसा नहीं कह सकता क्योंकि रिकॉर्ड बहुत स्पष्ट हैं। उपग्रह चित्र साफ दिखाते हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना को पहले किसने भेजा। नौ दिसम्बर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग में एलएसी पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी जिसमें दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को मामूली चोटें आई थीं।
जून, 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद से भारत और चीन की सेनाओं के बीच यह पहली बड़ी झड़प थी। दोनों देश गतिरोध दूर करने के लिए 17 दौर की बातचीत कर चुके हैं। साक्षात्कार में जयशंकर ने पाक पर जो तीखे प्रहार किए वह पाकिस्तान के प्रति भारत के रुख की पुष्टि करते हैं। पाकिस्तान को आतंक का केंद्र करार देने संबंधी अपनी टिप्पणी पर उनका कहना था कि वह इससे भी कड़े शब्दों का इस्तेमाल कर सकते थे। दुनिया को आतंकवाद को लेकर चिंतित होने की जरूरत है।
पाक के आतंकवाद समर्थक घोषित रुख की उपेक्षा करने के लिए उन्होंने यूरोपीय देशों को खूब खरी खोटी सुनाई। उन्होंने सच ही कहा कि राजनयिक होने का यह मतलब नहीं है कि बातों को घुमा फिरा कर कहा जाए। जो कुछ हमारे साथ घट रहा है, उसको देखते हुए पाकिस्तान को आतंकवाद का केंद्र कहना राजनयिक प्रयोग है। पाकिस्तान ऐसा देश है, जिसने कुछ वर्ष पहले भारत की संसद पर हमला किया था, मुंबई शहर पर हमला किया था, जिसने आतंक की लहर से होटलों और विदेशी पर्यटकों तक को खौफजदा किया था, और जो प्रति दिन सीमापार से आतंकवादियों को भेजता है।
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