वैज्ञानिकों का आह्वान

Last Updated 05 Jan 2023 01:30:54 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को वैज्ञानिक शोधकर्ताओं से आग्रह किया कि वे देश को आत्मनिर्भर बनाने और रोजमर्रा की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए ज्ञान का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करें।


वैज्ञानिकों का आह्वान

इसके लिए उन्होंने अगले 25 वर्षो में विज्ञान को लेकर अपना दृष्टिकोण भी  रेखांकित किया। प्रधानमंत्री मोदी तुकड़ोजी महाराज नागपुर विविद्यालय में 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन कर रहे थे। उन्होंने वैज्ञानिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने, क्वांटम प्रौद्योगिकी, डेटा विज्ञान, नये टीकों के विकास जैसे उभरते क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने, नई बीमारियों के लिए निगरानी के प्रयासों को तेज करने और युवाओं को अनुसंधान के लिए प्रोत्साहित करने पर जोर दिया। दरअसल, बीते कुछ वर्षो से विज्ञान खासकर नव क्षेत्र उन्नयन और नवोन्मेषण पर सरकार के जोर देने का ही नतीजा है कि भारत विज्ञान के क्षेत्र में शीर्ष देशों में शामिल हो गया है।

2015 में भारत जहां 130 देशों के ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 81वे नंबर पर था वहीं सात साल में विज्ञान के क्षेत्र में ऐसे कई बड़े इनोवेशन हुए जिनके कारण भारत अब 41वे नंबर पर आ गया है। बेशक, बड़े इनोवेशन हुए हैं लेकिन  प्रयोगशाला में मिले नतीजों का लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचाना अभी भी सबसे बड़ी चुनौती है। ग्लोबल से लोकल स्तर तक विज्ञान में हुए शोधों का लाभ आम जन तक पहुंचना जरूरी है। रिसर्च का फायदा रियल लाइफ में मिलेगा तभी विज्ञान रोजमर्रा की जिंदगी में अनगिनत फायदों का जरिया बन सकता है। जीवन को सहज और आसान बना सकता है। विज्ञान से लाभान्वित होने की अपेक्षा और आकांक्षा बेवजह नहीं है।

दरअसल, भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़ाए हैं। न केवल ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में अपनी रैंकिंग में सुधार किया है, बल्कि उद्यमशीलता का ऐसा नायाब प्रदर्शन किया है कि आज वह स्टार्टअप की व्यवस्था में विश्व के शीर्ष तीन देशों में शामिल है। प्रौद्योगिकी के लिहाज से भारत खासे मजबूत आधार वाला देश है, और प्रयास करे तो अगले 25 वर्षो में विज्ञान के क्षेत्र में नई इबारत लिख सकता सकता है। विकसित देशों में भारतीय मेधा ने अपने ज्ञान का लोहा मनवाया है। मजबूत प्रौद्योगिकी और डाटा आधार के बल पर कोई भी देश बढ़ सकता है, और इस दृष्टि से भारत लाभ की स्थिति में है। जरूरत है तो इस बात की कि इस ओर ध्यान केंद्रित किया जाए।



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