तुरंत रुके बंदूक संस्कृति
अमेरिका आज बेबसी के आंसू बहा रहा है। राष्ट्रपति से लेकर हर राजनीतिज्ञ, समाजशास्त्री और आम लोग गमगीन और चिंतित हैं।
तुरंत रुके बंदूक संस्कृति |
समझ नहीं पा रहे कि जो गलती उन सबसे हुई है उसे कैसे सुधारें। टेक्सास राज्य के एक प्राथमिक स्कूल में 18 वर्षीय एक युवक ने मंगलवार को अंधाधुंध गोलीबारी करके 19 बच्चों और दो शिक्षिकाओं की हत्या कर दी और कई अन्य को घायल कर दिया। राष्ट्रपति जो बाइडन घटना से व्यथित हैं और उनके शोक संदेश से लगता है कि देश में बंदूक संस्कृति को लेकर गंभीर चिंतन होगा और आम लोगों के आलू-प्याज की तरह बंदूकें खरीदने और प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। टेक्सास के उवाल्डे शहर के रॉब एलीमेंट्री स्कूल में मंगलवार पूर्वाह्न करीब साढ़े 11 बजे चली गोलियों ने पूरे अमेरिका को दहला दिया।
घटना के शिकार हुए बच्चे दूसरी, तीसरी और चौथी कक्षा में पढ़ते थे और उनकी आयु सात से 10 साल के बीच थी। हमलावर की पहचान सल्वाडोर रामोस के रूप में हुई है, जो स्कूल के पास के एक इलाके का रहने वाला था। मीडिया रिपोटरे के मुताबिक युवक ने किसी बात पर डांटे जाने पर पहले अपनी दादी को गोली मारी, उसके बाद उसकी कहासुनी कुछ सुरक्षा अधिकारियों से हुई और इसके बाद वह स्कूल में घुस गया। रामोस के पास हैंडगन और एआर-15 अर्धस्वचालित राइफल थी। उसके पास आधुनिक मैगजीन भी थी। हमलावर अकेला था और पुलिस की गोलीबारी में मारा गया।
क्वाड शिखर वार्ता में शामिल होने के बाद जापान से लौट रहे राष्ट्रपति बाइडन प्राथमिक स्कूल में गोलीबारी की घटना की जानकारी मिलते ही व्यथित दिखाई दिए। भावुक बाइडन ने पूछा कि साथी सांसदों को यह समझाने में कितना वक्त लगेगा कि ‘यह कार्रवाई का समय है।’ अमेरिका में बंदूक संस्कृति कोई नई बात नहीं है। आए दिन वहां गोलीबारी की खबरें सामने आती हैं लेकिन हाल के वर्षो में इन घटनाओं ने स्कूलों की तरफ मुंह मोड़ लिया है।
स्कूलों में गोलीबारी की अधिकांश घटनाएं समाजिक विसंगतियों का नतीजा हैं। अमेरिकी समाज में रंगभेद तो पहले से ही था। ऊंच-नीच और अमीरी-गरीबी की भावना ने स्थितियों को बुरी तरह बिगाड़ दिया है। टेक्सास के प्राथमिक स्कूल का हमलावर भी एक बेहद गरीब परिवार से था। उसके साथ पढ़ चुके युवकों के अनुसार उसके कपड़ों के कारण स्कूल में उसकी खिल्ली उड़ाई जाती थी। बंदूक संस्कृति पर रोक के साथ ही अमेरिकी समाज को पश्चाताप की भी जरूरत है।
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