भारत की प्रभावी कूटनीति
रूस यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत क्या सोचता है, इसे एक बार फिर साफ तौर बताया गया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को संसद में जोर देकर कहा कि भारत रूस-यूक्रेन के बीच संघर्ष के पूरी तरह खिलाफ है और तत्काल हिंसा खत्म करने के पक्ष में है।
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यानी भारत शांति का पैरोकार है। दरअसल, बुका में जिस तरह दो दिन पहले रोंगटे खड़े कर देने वाली रिपोर्ट और तस्वीरें आई, उसके बाद से भारत की पहली प्रतिक्रिया यही थी कि इस वारदात की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। भारत बुका के मामले में बहुत परेशान है और कत्लेआम की निंदा करता है।
बुका के बहाने भारत की प्रतिक्रिया को उसकी विदेश नीति में बदलाव के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। इससे पहले भारत ने इस तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी थी। हालांकि बुका प्रकरण में भारत ने रूस का नाम नहीं लिया, मगर पल-पल बदलते परिदृश्य में भारत का किसी के पक्ष में न जाकर बिल्कुल मध्य में होना, नई कूटनीति की ओर इशारा करता है।
शुरुआत से ही भारत ने शांति पर जोर दिया। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव से पृथक रहने का फैसला हो या अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन समेत तमाम यूरोपीय देशों का रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाना हो; भारत ने हमेशा अपने हित को वरीयता दी। बिना किसी डर या दबाव के भारत ने वही किया जो देश की एकता और अखंडता के लिए जरूरी था। वाकई यह बदले हुए भारत की तस्वीर है। इस वक्त दुनिया दो प्रतिद्वंद्वी गुटों में विभाजित हो गई है। ऐसे में भारत मानवता के पक्ष में दृढ़ता से बोल रहा है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने जिस तरह से बुका में हुई हिंसा को लेकर बयान दिए हैं, वह रूस के साथ होने के अमेरिका व अन्य देशों की सोच से बिलकुल उलट है। गौरतलब है कि भारत ने अमेरिकी प्रतिबंध और चेतावनी के बावजूद रूस से सस्ते में तेल खरीद का सौदा किया। यहां तक कि अमेरिका के डिप्टी एनएसए दलीप सिंह के विवादित बयान की कड़े शब्दों में निंदा की। भारत की स्थिति और पहुंच को अमेरिका जानता है। उसे हर हाल में भारत के साथ संबंधों को लचीला बनाए रखना होगा। यही उसके लिए फायदे का विकल्प है। भारतीय कूटनीति का यह स्वर्ण काल कहा जाएगा, जब अमेरिका, रूस, इस्रइल, ब्रिटेन जैसे देश भारत की तरफ उम्मीद से देख रहे हैं।
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