अमेरिका की धमकी

Last Updated 21 Mar 2022 12:35:39 AM IST

यूक्रेन के मुद्दे पर अमेरिका और रूस की स्थिति दो बांकों की कहानी जैसी स्थिति में पहुंच गई है।


अमेरिका की धमकी

दोनों महाशक्तियों के बीच हालात अब धमकियों तक जा पहुंचे हैं। इस काम के लिए दूसरे देशों का भी सहारा लिया जा रहा है। अमेरिका की तो यह हालत हो गई है कि वह रूस को सीधे कुछ कहने  की बजाय उसके मददगार देशों को ही धमकाने पर उतर आया है। शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 110 मिनट की वीडियो कॉन्फ्रेंस हुई। इसमें बाइडेन ने जिनपिंग को साफ चेतावनी दी कि चीन रूस की मदद करने की बिल्कुल न सोचे। यदि चीन ने ऐसा किया तो उसे इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। जो बाइडेन और शी जिनपिंग के बीच नवम्बर, 2021 के बाद यह पहली वीडियो कॉन्फ्रेंस थी।

चीन को साफ संदेश दिया गया कि रूस के  खिलाफ चीन को पश्चिमी देशों का साथ देना चाहिए। चीन को यह समझने की जरूरत बताई गई कि उसका भविष्य अमेरिका, यूरोप और दुनिया के अन्य विकसित और विकासशील देशों के साथ है। रूस के साथ खड़े रहने में चीन का कोई भविष्य नहीं है। बाइडेन ने शी से साफ कहा कि अगर चीन ने गुपचुप तरीके से भी प्रतिबंधों से बचने में रूस की मदद की तो उसे इसका अंजाम भुगतना होगा। उधर, रूस ने भी स्लोवाकिया को धमकाते हुए कहा है कि वह उसे यूक्रेन को एस-300 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम की सप्लाई नहीं करने देगा।

यूक्रेन, बेहद ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले रूसी विमानों को निशाना बनाने के लिए इस सिस्टम की मांग कर रहा है। जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने भी पुतिन से कूटनीतिक हल खोजने की दिशा में काम करने और मानवीय परिस्थितियों को सुधारने की अपील की। अब हालात ऐसे विकट हो गए हैं कि पुतिन समझ नहीं पा रहे हैं कि जंग कैसे जीतें? कुछ शर्तें को यूक्रेन आसानी से मान सकता है।

इनमें नाटो में कभी शामिल न होना, रूस की रक्षा के लिए किसी भी तरह का खतरा न बनना और नवनाजियों को खत्म करने की शर्तें शामिल हैं। दूसरी शर्त, यूक्रेन को असहज करने वाली हैं। क्रीमिया पर अधिकार छोड़ना और पूर्वी यूक्रेन के डोनबास इलाके को स्वायत्त या फिर रूस का हिस्सा मानना यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को मंजूर नहीं है। इसीलिए युद्ध लंबा खिंच रहा है।



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