चीनी एप्स पर स्ट्राइक
भारत ने सोमवार को चीन से संबंध रखने वाले 54 और मोबाइल एप्स को सुरक्षा और निजता से जुड़े मसलों पर प्रतिबंधित कर दिया।
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इसके साथ ही गूगल और एप्पल ने इन एप्स को प्ले स्टोर से अस्थायी रूप से हटा लिया है। जानकारी मिली थीं कि उपयोगकर्ताओं से अहम सूचनाएं और संवेदनशील जानकारियां जुटाकर ये एप्स कथित रूप से उन्हें विरोधी देश में स्थित सर्वरों को भेज रहे थे। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इन 54 एप्स को प्रतिबंधित करने संबंधी अंतरिम निर्देश जारी किया। गृह मंत्रालय ने इन एप्स से देश की सुरक्षा को गंभीर खतरे के अंदेशे से इस बाबत सिफारिश की थी।
गौरतलब है कि चीन के 267 एप्स पहले ही प्रतिबंधित किए जा चुके हैं, जिन्हें पूर्वी लद्दाख में टकराव के बाद 2020 में प्रतिबंधित किया गया था। अब ब्यूटी कैमरा, टेनसेंट जराइवर, क्यूटय़ू प्रो. मून चैट, विंक कनेक्ट नाउ, फन चैट, वीवा वीडियो एडिटर, एमपी3कटर, बारकोड स्कैनर, म्युजिक प्लस, वॉल्यूम बूस्टर, एस्ट्राक्राफ्ट आदि पर प्रतिबंध की गाज गिरी है। कहना होगा कि चीन के एप्स देश की सुरक्षा एवं अखंडता के लिए बराबर खतरनाक साबित हो रहे हैं। संभव है कि पूर्व में जिन एप्स पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगाया था, वे ही बदले नाम से फिर से आ गए हों।
चीन के रवैये और रुख से अड़ियलपन झलकता है, और वह जब-तब सीमा पर टकराव की नौबत पैदा कर देता है। पड़ोसी देश पाकिस्तान को शह देकर भारत के खिलाफ उकसाने का कोई मौका नहीं चूकता। इसलिए चौकस रहना होगा क्योंकि चीन छल-प्रपंच का पर्याय बन चुका है। अमूमन भारत किसी देश के खिलाफ इतना सख्त रवैया अख्तियार नहीं करता, लेकिन चीन हरकतों से बाज नहीं आ रहा। अपने कुत्सित मंसूबों को पूरा करने में वह इतना आगे निकल जाता है कि इस तथ्य को भी अनदेखा कर बैठता है कि भारत उसके उत्पादों का बड़ा बाजार है।
उसकी अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में कारोबार कर रही हैं। कटु तथ्य है कि भारत और चीन की व्यापारिक भागीदारी में भारत की चीन पर निर्भरता बहुत ज्यादा है। व्यापार घाटे वाली स्थिति है, इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को व्यापारिक रूप से चीन पर अपनी निर्भरता को यथाशीघ्र कम करना चाहिए। अस्थायी प्रतिबंध आदि से काम नहीं चलने वाला। चीन के खिलाफ ठोस कार्रवाई व्यापार कम करके आर्थिक चोट करने से ही होगी।
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