सबसे बड़ा मुद्दा
देश में इन दिनों चुनावों की बहार है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के खास मुद्दों में भारत-पाकिस्तान, हिंदू-मुसलमान, मंदिर तथा हिजाब जैसे मुद्दों को उठाया जा रहा है।
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विकास और रोजगार के अलावा जिस बड़े मुद्दे की उपेक्षा की जा रही है, वह है जलवायु परिवर्तन का मुद्दा। यह ऐसा मुद्दा है, जो हमारी आने वाली कई पीढ़ियों को प्रभावित करेगा। वैज्ञानिकों की राय है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से भारत के तटवर्ती इलाकों में समुद्र का जलस्तर तेजी से बढ़ने के साथ ही मौसम में भी अप्रत्याशित बदलाव होंगे। तटवर्ती इलाकों में भयंकर चक्रवाती तूफान आएंगे। आईआईटी, खड़गपुर के अनुसंधानकर्ताओं ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि समुद्र में तीव्र हवाओं के चलते ऊंची लहरें उठने के कारण तटवर्ती इलाकों में भारी नुकसान पहुंचेगा। समुद्र का खारा पानी तटवर्ती इलाकों में पहुंच कर भूगर्भीय मीठे जल से मिल जाएगा।
इससे बड़े पैमाने पर फसल नष्ट हो जाएंगी और इसका सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ेगा। रिपोर्ट में समुद्री जल के तापमान में वृद्धि का भी संकेत दिया गया है। लहरों की ऊंचाई बढ़ने से पर्यावरण में होने वाले बदलावों के प्रतिकूल असर के लिए सबसे अधिक संवेदनशील तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए विकट परिस्थितियां पैदा हो जाएंगी। जलवायु परिवर्तन की मार सिर्फ तटीय इलाकों पर ही नहीं पड़ेगी। पहाड़ भी इसके प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं। पहाड़ों में भी तापमान बढ़ रहा है, और प्राकृतिक वातावरण बदल रहा है।
जल प्रणालियां, जैव विविधता के साथ बर्फ और ग्लेशियर भी गायब हो रहे हैं। प्राकृतिक आपदाएं, तूफान और चक्रवात तो पहले भी आते रहे हैं, लेकिन कुछ सालों से उनकी फ्रीक्वेंसी लगातार बढ़ रही हैं। हर साल तापमान बढ़ रहा है। विशेषज्ञों की राय है कि जलवायु परिवर्तन के असर पर अंकुश लगाने के लिए सामूहिक और सतत प्रयासों की जरूरत है। सरकार को कोयले से बनने वाली बिजली की जगह वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा देना चाहिए। इस दिशा में शीघ्र प्रयास नहीं होने की स्थिति में हालात भयावह होने का अंदेशा है। मौसम में एकाएक उतार-चढ़ाव, प्राकृतिक आपदाएं और चक्रवाती तूफान चेता रहे हैं कि तुरंत कदम नहीं उठाए गए तो हमारी संततियां खमियाजा उठाएंगी।
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