अब कार्रवाई का वक्त
सोशल मीडिया अब भारत में खुलकर रंग दिखाने लगा है। इसकी हरकतों से सरकार भी परेशान हो उठी है।
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तमाम कोशिशों के बाद इन पर जितना भी नियंत्रण लग पाया है, उसे आंशिक ही कहा जा सकता है। आजिज आकर भारत सरकार ने अमेरिकी टेक कंपनियों को अपने प्लेटफार्म से फेक न्यूज न हटाने पर कड़ी फटकार लगाई है। फेक न्यूज और अन्य मुद्दों को लेकर केंद्र के अफसरों और अमेरिकी टेक कंपनियों गूगल, ट्विटर,और फेसबुक के प्रतिनिधियों के बीत सोमवार को हुई वचरुअल बैठक में कई बार माहौल गरम हो गया।
अफसरों ने इन कंपनियों के प्रतिनिधियों को कई बार फटकारा। नाराजगी इस बात पर थी कि इन मंचों से खबरों के नाम पर हो रहा फर्जीवाड़ा तुरंत रोकने के कोई इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं। कंपनियां फेक न्यूज हटाने के उपायों को लेकर कोई तत्परता नहीं दिखा रही हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों के इस पर टेक कंनियों की कड़ी आलोचना की। सोशल मीडिया को प्लेटफार्म उपलब्ध कर रही इन कंपनियों की निष्क्रियता के कारण भारत सरकार को सामग्री हटाने का आदेश देना पड़ता है।
इससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में संशय का माहौल बनता है और कई मंचों से अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने के आरोप लगते हैं। लगभग ढीठ हो चुकी इन कंपनियों के प्रतिनिधियों ने अपनी सफाई में साफ कह दिया कि वे पूरे नियम-कायदों के साथ काम करती हैं। हालांकि टेक कंपनियों को कोई अंतिम चेतावनी नहीं दी गई है, लेकिन यह सच है कि अमेरिकी टेक कंपनियों के साथ भारतीय अधिकारियों की इतनी तनावपूर्ण बैठक इससे पहले कभी नहीं हुई।
भारत सरकार लगातार इन कंपनियों को काबू में लाने का प्रयास कर रही है और कामकाज के नियम कायदों को सख्त कर रही है। भारत सरकार चाहती है कि इन मंचों से परोसी जा रही सामग्री पर ये कंपनियां खुद नजर रखें और फेक न्यूज पर काबू पाने के उपाय करें। बैठक में भारतीय मीडिया प्लेटफार्मो के नुमाइंदे भी मौजूद थे। हालांकि बैठक को लेकर किसी ने भी कोई बयान जारी नहीं किया है, लेकिन ये कंपनियां लगातार दावा करती हैं कि वे नियमों के तहत चलती हैं, जो कि वास्तविकता से कोसों दूर है। समय आ गया है कि इन टेक प्लेटफार्मो पर बात न मानने पर सख्त कार्रवाई की जाए।
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