नया बोझ नहीं, यानी राहत
बजट प्रस्तुतीकरण के बाद होने वाली प्रेस कांफ्रेंस में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री का आदेश था कि महामारी के दौरान लोगों पर करों का नया बोझ नहीं डालना चाहिए, तो उन्होंने नया कर नहीं लगाया है यानी समझा जाना चाहिए कि नया कर नहीं लगाया तो इसे ही राहत माना जाना चाहिए।
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जीएसटी संग्रह ने भी सरकार को खुश किया है। 2021-22 के बजट में अनुमान लगाया गया था कि जीएसटी से केंद्र सरकार को 6,30,000 करोड़ रु पये की आय मिलेगी पर संशोधित अनुमान के मुताबिक इस मद में सरकार को 6,75,000 करोड़ की रकम मिलेगी। अब केंद्र ने इससे और ज्यादा उम्मीद पालते हुए 2022-23 में जीएसटी से 7,80,000 करोड़ हासिल करने का अनुमान लगाया है।
बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने बताया कि जनवरी, 2022 के दौरान जीएसटी संग्रह 1,41,000 करोड़ का रहा है यानी जनवरी, 2022 में अब तक का सर्वाधिक जीएसटी संग्रह हुआ है। विनिवेश के मसले पर व्यावहारिकता आ रही है। एक लाख 75000 करोड़ रु पये का टारगेट रखा गया था 2021-22 के लिए लेकिन वित्तीय साल बीतते-बीतते 12,000 करोड़ ही हासिल किए जा सके इस मद में। एलआईसी के पब्लिक इश्यू से 66000 करोड़ उगाहे जाने के आसार हैं यानी करीब 78000 करोड़ ही 2021-22 में हासिल किए जा सकेंगे, विनिवेश से। 2022-23 के लिए विनिवेश टारगेट 65000 करोड़ रु पये का रखा गया है।
सरकार व्यावहारिक हो रही है। विनिवेश पर संसाधन जुटाने की निर्भरता सरकार कम कर सकती है क्योंकि दूसरी मदों से जुटाने का स्कोप बढ़ रहा है। बजट में बताया गया कि मेक इन इंडिया के तहत 60 लाख नौकरियां पैदा हो सकती हैं। तीन करोड़ 80 लाख घरों को नल का कनेक्शन दिया जायेगा। मुंबई शेयर बाजार का सूचकांक सेंसेक्स करीब डेढ़ प्रतिशत ऊपर जाकर बंद हुआ।
वेतनभोगी लोगों की शिकायतें अपनी जगह बनी हुई हैं कि उन्हें कोई कर राहत नहीं दी गई पर इन शिकायतों का जवाब मंत्री यह कहकर दे चुकी हैं कि नया कर नहीं लगाने को राहत माना जाए। कुल मिलाकर बजट ऐसी परियोजनाएं लेकर आया है, जो भविष्य में बेहतरीन परिणाम दिखा सकती हैं, पर उनका तत्काल फायदा मिलना मुश्किल दिख रहा है यानी बजट इंतजार की मांग करता है, फौरन मिलने वाले फायदे कम से कम वेतनभोगी वर्ग के लिए नहीं हैं।
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