बच्चों की बदलती मन:स्थिति

Last Updated 20 Jan 2022 04:47:16 AM IST

वैश्विक महामारी कोविड-19 का प्रकोप अभी टला नहीं है, और यह नये-नये रूपों में परेशानी का सबब बनी हुई है।


बच्चों की बदलती मन:स्थिति

अभी इसका नया और बनिस्बत कहीं ज्यादा संक्रामक रूप ओमीक्रोन समूची दुनिया को चिंता में डाले हुए है। कोरोना-अनुकूल व्यवहार अपनाने के साथ ही लॉकडाउन को भी संक्रमण रोकने का जरिया बनाया गया। लॉकडाउन तमाम देशों में लगाना पड़ा और इसके आफ्टर इफेक्ट्स, जैसी कि शंका है, आने वाले समय में बने रहने हैं। इससे आर्थिक गतिविधियां शिथिल पड़ीं और जनजीवन तो पूरी तरह से ठप ही हो गया था। इस दौरान जीवन के तमाम क्षेत्रों में ठहराव आ गया।

लेकिन बच्चों पर तो बुरी गुजरी। इटली, अमेरिका आदि देशों में परिवारों में किए गए सव्रेक्षणों से इस बात की पुष्टि हुई है कि घरों में बंद रहने से बच्चों के समक्ष मानसिक दिक्कतें आई। खेलकूद जैसी शारीरिक गतिविधियां ठप होने से उनकी फिटनेस गड़बड़ाई है। आदतों में एकदम से बदलाव आ गया। वैसे तो कहा जाता है कि आदतें कदाचित ही बदलती हैं, लेकिन तमाम शोधों से पता चल रहा है कि बच्चों के खेलने-कूदने की आदतें सीमित होती जा रही हैं।

वे गतिहीनता और सीमित गतिविधियों वाले जीवन के आदी हो रहे हैं। कनाडा में शोधकर्ताओं ने कोविड-19 प्रतिबंधों के दौरान 1742 किशोरों के माता-पिता का ऑनलाइन सवेक्षण किया। पाया कि कोविड लॉकडाउन के दौरान बच्चों और किशोरों ने शारीरिक रूप से सक्रिय रखने वाली गतिविधियों को पहले की तुलना में कम समय दिया। ऐसी ही कहानी इटली और अमेरिका की रही। भारत में भी ऐसा रहा। इससे बच्चों में एकाकीपन की समस्या ने सिर उठा लिया है।

अभिभावकों के समक्ष बड़ी चुनौती है कि अपने बच्चों को अकेलेपन से नहीं घिरने दें। ऐसे में उन्हें बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताना होगा। इनडोर खेल के साथ ही आउटडोर खेलों से भी मदद मिल सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि पालतू बिल्ली या कुत्ते के साथ खेलने से भी बच्चों को अनिश्चित दिखते समय से पार पाने में मदद मिल सकती है। बहरहाल, भावी पीढ़ी को असामान्य मन:स्थिति के अंदेशे से बचाना ही मकसद है।



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