गोरखपुर से ही योगी

Last Updated 17 Jan 2022 12:57:26 AM IST

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा में भी अपने संसदीय क्षेत्र की गोरखपुर शहरी सीट से ही दावा ठोंकेंगे।


गोरखपुर से ही योगी

वह पांच बार गोरखपुर से सांसद रह चुके हैं। यह दांव अनुमान से थोड़ा अलग है क्योंकि पहले माना जा रहा था कि अयोध्या से ताल ठोक कर वे रामराज्य के नारों को बल देंगे। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कौशांबी जिले की सिराथू सीट से चुनाव लड़ेंगे। योगी और मौर्य अभी विधान परिषद के सदस्य हैं। मौर्य ने 2012 में अपना पहला चुनाव सिराथू से ही जीता था। गोरखपुर से योगी को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं।

योगी के वहां से लड़ने से गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों पर भाजपा को फायदा होगा।  हालांकि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भाजपा के योगी को गोरखपुर से चुनाव लड़ाने के फैसले पर तंज कसते हुए कहा है कि योगी कभी कहते थे कि मथुरा से लड़ेंगे, कभी कहते थे कि अयोध्या से लड़ेंगे, लेकिन खुशी की बात है कि भाजपा ने उन्हें पहले ही उनके घर (गोरखपुर) भेज दिया है। सच यह है कि योगी लोकप्रियता के बल पर मथुरा या अयोध्या या किसी भी अन्य सीट से चुनाव जीत सकते हैं। वैसे भी इक्का-दुक्का मामला हो तो हो, जब कोई मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए चुनाव हारा हो।

तो इसका मतलब यह कि योगी को गोरखपुर और मौर्य को सिराथू से चुनाव में उतारना भाजपा का रणनीतिक दांव ज्यादा है। दरअसल, गोरखपुर में छठे चरण के तहत तीन मार्च को और सिराथू में पांचवें चरण के तहत 27 फरवरी को मतदान होना है। इस प्रकार राज्य की अन्य सीटों पर ये दोनों वरिष्ठ नेता पार्टी के प्रत्याशियों के प्रचार में ज्यादा सहायक हो सकेंगे। जिस तरह पिछले दिनों भाजपा से ओबीसी के तीन मंत्रियों समेत 14 विधायकों ने पार्टी छोड़ी है, उससे भाजपा ने तेजी से अपनी रणनीति बदली है।

2017 के चुनाव में ओबीसी जातियों का पार्टी को खासा समर्थन मिला था। इन जातियों को साधे रखने की चुनौती के दरपेश भाजपा ने निवर्तमान विधायकों के टिकट भी ज्यादा नहीं काटे हैं। लग रहा था कि काफी संख्या में सिटिंग विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं, लेकिन भाजपा ने ऐसा न करके संकेत दिया है कि विधायकों का कामकाजी प्रदर्शन बेहतर रहा है, इतना तो जरूर कि उन्हें रिपीट किया जा सके। भाजपा किसी भी चुनाव को पूरी गंभीरता से लड़ती है, और यूपी भी अपवाद नहीं है। गोरखपुर से योगी का आना सटीक रणनीतिक फैसला कहा जा सकता है।



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