पूर्व कप्तान हुए कोहली
विराट कोहली ने दक्षिण अफ्रीका से सीरीज हारने के बाद टेस्ट कप्तानी से इस्तीफा दे दिया।
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असल में इसकी बुनियाद भारतीय टीम के दक्षिण अफ्रीका रवाना होने से पहले ही पड़ गई थी। विराट के टी-20 विश्व कप के बाद क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप की कप्तानी छोड़ने के बाद बीसीसीआई की चयन समिति ने सफेद गेंद का एक कप्तान बनाने की बात कहकर विराट को वनडे की कप्तानी से हटाकर रोहित शर्मा को यह जिम्मेदारी सौंप दी थी।
असल में चयन समिति ने यह घोषणा करने से मात्र एक डेढ़ घंटे पहले ही विराट को इस फैसले से अवगत कराया था, इसलिए वह फैसले के ढंग से आहत थे। वह यह तो समझ गए थे कि वह जिस बिंदास अंदाज में अब तक कप्तानी करते रहे हैं, वह अब नहीं चल पाएगा। इसे ध्यान में रखकर उन्होंने लगता है कि टेस्ट कप्तानी छोड़ने का फैसला किया है।
ज्ञातव्य है कि बीसीसीआई की देखरेख प्रशासकों की समिति के करने के दौरान विराट कप्तान बने थे और उसने उन्हें खुली छूट दे दी थी। इसके अलावा, विराट ने टीम इंडिया को एक विजयी तालमेल में बदलकर अपना दबदबा बना लिया था। इस कारण उन्होंने फैसले अपनी मर्जी से किए, जिनमें कुछ सही थे तो कुछ गलत भी थे।
अनिल कुंबले को कोच बनाना उन्हें रास नहीं आया और वह उन्हें हटवाने में कामयाब रहे थे। वह अपनी पसंद के रवि शास्त्री को कोच बनवाने में सफल रहे। शास्त्री के पूरे कार्यकाल के दौरान कभी दोनों के बीच टकराव की कोई खबर भी नहीं मिली, लेकिन सौरव गांगुली के बीसीसीआई अध्यक्ष बनने के बाद खुली छूट में कमी आने लगी थी और अब राहुल द्रविड़ के कोच बनने के बाद यह भी संभव नहीं रहा था कि वह उनकी हर बात में हां में हां मिलाएं। इन सभी बातों ने विराट को टेस्ट कप्तानी छोड़ने के लिए मजबूर किया है। पर जहां तक टेस्ट कप्तानी में उनके प्रदर्शन की बात है तो वह टेस्ट इतिहास के सफलतम कप्तान हैं।
वह टीम को पहली रैंकिंग पर ले गए और पहले स्थान पर 42 महीनों तक बनाए रखने में सफल रहे। कोहली को टीम के फिटनेस कल्चर को बदलने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। इतनी खूबियों वाले कप्तान का इस तरह कप्तानी छोड़ना थोड़ा खलने वाला जरूर है। उन्हें यदि श्रीलंका के साथ होने वाली घरेलू सीरीज तक मनाया जा सकता तो कहीं बेहतर होता।
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