वाहन स्क्रैप कराने पर राहत
सरकार राष्ट्रीय वाहन कबाड़ नीति के तहत पुराने वाहनों को कबाड़ (स्क्रैप) में बदलने के बाद वाहन मालिकों द्वारा खरीदी जाने वाली नई गाड़ियों पर कर संबंधित और अन्य रियायतें देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।
वाहन स्क्रैप कराने पर राहत |
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया है कि इस सिलसिले में संभावनाएं टटोली जा रही हैं कि अपने वाहन कबाड़ में तब्दील करने वाले वाहन स्वामियों को क्या-क्या राहत दी जा सकती हैं। हाल में घोषित राष्ट्रीय वाहन कबाड़ नीति के तहत डीजल-पेट्रोल चालित वाहनों को नियत अवधि पूरी कर लेने के उपरांत चलन से बाहर कर देने की व्यवस्था है। नीति के समर्थन में कहा गया है कि इससे प्रदूषण में कमी आएगी।
नीति लाने के पीछे यह भी उद्देश्य था कि इसे लागू करके केंद्र और राज्यों के कर राजस्व में इजाफा किया जाए। यह भी माना जा रहा है कि नीति को लागू करके वाहन उद्योग को खासा प्रोत्साहन दिया जा सकता है। अभी यह उद्योग बड़े स्तर पर रोजगार प्रदान करता है। रोजगार सृजन में वाहन उद्योग की महत्त्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए जरूरी है कि इस उद्योग की मांग में इजाफा हो।
भारतीय वाहन उद्योग अभी 7.5 लाख करोड़ रुपये का है। अगले पांच वर्षो में इसके बढ़कर 15 लाख करोड़ रुपये होने जाने का अनुमान है। एक आकलन के मुताबिक, कबाड़ नीति से वाहनों की बिक्री में 10 से 12 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है यानी राष्ट्रीय वाहन कबाड़ नीति अच्छे से लागू होती है तो भारत के वाहन उद्योग के लिए उत्प्रेरक का काम कर सकती है। लेकिन नई नीति को लाए जाने के दिन से ही कुछ अवरोध सामने आ रहे हैं। एक तो अपने पुराने वाहन से लोगों को लगाव बहुत होता है, वे एकदम से इसे कबाड़ होते नहीं देखना चाहते। ऐसी भी चर्चा रही कि वाहन विनिर्मातओं को बेजा फायदा पहुंचाने के लिए नीति लाई गई।
कारण चाहे जो भी हों लेकिन इस नीति की उपयोगिता को अनदेखा नहीं किया जा सकता। इस बात को भी नहीं कि पुराने वाहन अधिक प्रदूषण फैलाते हैं। वैसे मियाद पूरी कर चुके वाहनों को सड़कों पर चलाना अब आसान नहीं रहा। ऐसे वाहनों को जब्त किया जा रहा है। लेकिन लोग खुद से आगे आकर सहयोग नहीं कर रहे हैं। सो, वाहन स्वामियों को कर संबंधी छूट और अन्य रियायतें देकर प्रोत्साहित करना जरूरी है।
Tweet |