किसानों का मांग पत्र

Last Updated 24 Nov 2021 12:32:02 AM IST

प्रधानमंत्री के कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद किसानों के हौसले बुलंद हो गए हैं।


किसानों का मांग पत्र

दिल्ली की सीमाओं से घर लौट जाने की बजाए वे अपने आंदोलन का दायरा बढ़ाते जा रहे हैं। किसानों ने सोमवार को लखनऊ में महापंचायत की। पंचायत में कहा गया कि संघर्ष विराम सरकार ने किया है, हमने नहीं। हमारा आंदोलन जारी रहेगा। अभी और मुद्दे हैं जिन पर सरकार सहमत नहीं हुई तो हमारा संघर्ष लंबा चलेगा।
 केंद्र सरकार जो कानून और लेकर आ रही है उन पर हमसे बात कर ले, नहीं तो किसान संयुक्त मोर्चा पूरे देश में आंदोलन को तेज करेगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को खत लिखकर छह मुद्दों पर वार्ता की मांग भी की है। किसानों के आंदोलन का एक साल 26 नवम्बर को पूरा हो रहा है। लखनऊ की महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत ने दावा किया कि केंद्र सरकार दुग्ध उत्पादों पर नीति लाने वाली है, उसी के साथ बिजली कानून भी आएगा। दोनों कानून एक दूसरे से जुड़े हैं। जब सरकार से वार्ता होती थी तो उसमें तय हुआ था कि जब कानून वापसी हो जाएगा, एमएसपी पर गारंटी कानून बनेगा, तब धरना समाप्त होगा। इसके बाद एक कमेटी बनेगी जो अन्य मामलों में बातचीत करती रहेगी।

महापंचायत में किसान नेताओं ने न्यूनतम समर्थन मूल्य, लखीमपुर खीरी हिंसा में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने सहित कई मुद्दे उठाए। पुलिस की सहानुभूति हासिल करने के कदम के तहत किसान नेताओं ने कहा कि पुलिस के जवान मात्र 21 हजार के वेतन में 24 घंटे की ड्यूटी बजा रहे हैं तो उन्हें शिक्षकों के बराबर वेतन क्यों नहीं दिया जा रहा। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने खुले खत में लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए कानून बनाने समेत किसान आंदोलन की लंबित सभी मांगों को पूरा करने की मांग की है।
 एसकेएम ने अपने पहले घोषित कार्यक्रमों को जारी रखने का भी ऐलान किया है। लखनऊ महापंचायत के बाद एसकेएम की अगली बैठक 27 नवम्बर को घटनाक्रम की समीक्षा करने के लिए होगी और ‘संसद चलो’ मार्च 29 नवम्बर को आयोजित होगा। लगे हाथ एसकेएम ने दिल्ली के आम लोगों से भी किसानों के आंदोलन का साथ देने की अपील की है और राज्यों में राज्य स्तर पर किसान-श्रमिक विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया है।



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