यह जीत है बड़ी
टी20 विश्व कप में बेहद निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भारत ने न्यूजीलैंड को घरेलू सीरीज में 3-0 से शिकस्त देकर काफी हद तक भारतीय प्रशंसकों को खुश कर दिया।
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न्यूजीलैंड को लगातार दो बार सीरीज में हराकर भारतीय टीम ने रिकार्ड भी बनाया। निश्चित तौर पर खेल के जानकार इस प्रदर्शन का श्रेय टीम में हुए बदलाव को देंगे, मगर इतना तो जरूर है कि घर में किसी भी टीम को शिकस्त देना मेजबान के लिए आसान रहता है। इसीलिए टीम के नवनियुक्त कोच राहुल द्रविड़ ने इस बात पर जोर दिया कि सीरीज में न्यूजीलैंड की टीम को हराने का भूत खिलाड़ियों के सिर पर कतई सवार नहीं हो।
हमें अपने पांव जमीन पर ही रखने होंगे। अच्छी बात यह रही कि सभी खिलाड़ियों ने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। ओपनर्स ने अच्छी शुरुआत दी, मध्यक्रम ने ठोस आधार रखा और गेंदबाजों ने बखूबी अपनी भूमिका निभाई। दरअसल, इससे पहले टीम के कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री द्वारा अंतिम ग्यारह खिलाड़ियों के चयन में कहीं-न-कहीं चूक रह जाती थी।
बेंच में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को मैच में खेलने का मौका ही नहीं मिल पाता था। यहां तक कि स्पिनर्स को मदद देने वाली पिच पर भी स्पिनर्स के बजाय तेज गेंदबाजों को जबरदस्ती खेलाया जाता था। अब इसमें बदलाव की उम्मीद है। द्रविड़ पहले अंडर-19 टीम के भी कोच रहे हैं। उन्हें यह बात अच्छे से मालूम है कि किस खिलाड़ी को कब और कैसे मौका देना है।
स्वाभाविक रूप से कोहली के नेतृत्व तक इस मसले पर काफी गड़बड़झाला था। हां, कुछ महत्त्वपूर्ण खिलाड़ियों को आराम देने के फैसले की भी सराहना होनी चाहिए। पूर्व कप्तान विराट कोहली और बुमराह जैसे खिलाड़ियों पर से ज्यादा मैच खेलने का दबाव रहता था, उसे भी दूर करने की कोशिश की गई।
इस रणनीति का फायदा निश्चित तौर पर टीम को मिलेगा। वैसे टीम इंडिया की असली परीक्षा तो देश के बाहर होगी जहां की पिच तेज और उछाल भरी होती है। देखना है, टीम प्रबंधन कोच और कप्तान की बात को तवज्जो देते हैं या अपनी चलाते हैं। इस बात में कोई दो मत नहीं कि नये खिलाड़ी बेहद प्रतिभाशाली हैं और अगर उन्हें मौके मिलते रहें तो टीम जरूर बेहतर प्रदर्शन करेगी। अगले वर्ष टीम इंडिया वेस्टइंडीज और श्रीलंका के खिलाफ भी खेलेगी। उसके परिणाम का प्रशंसकों को इंजतार रहेगा।
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