मणिपुर में कायराना हरकत
मणिपुर में शनिवार की सुबह उग्रवादियों के हमले में असम राइफल्स की खुगा बटालियन के कमांडिंग अफसर (सीओ) कर्नल विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्नी और पुत्र की मौत हो गई।
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म्यांमार सीमा से सटे चुराचांदपुर में हुए उग्रवादी हमले में चार सैन्यकर्मियों की मृत्यु हुई। उग्रवादी संगठन पीएलए और एमएनपीएफ ने हमले की जिम्मेदारी ली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने असम राइफल्स के काफिले पर घात लगाकर किए गए हमले की निंदा की है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे कायराना कृत्य करार दिया है। यह इलाका चंदेल से पचास किमी. की दूरी पर है। चंदेल वही जगह है, जहां 2015 में उग्रवादी संगठन ने सैनिकों पर हमला किया था, जिसमें 20 सैनिक शहीद हुए थे। उसके बाद सैन्य बलों ने म्यांमार की सीमा में घुसकर उग्रवादियों के कैंपों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। छह साल बाद शनिवार को उग्रवादियों ने फिर से अर्धसैन्य बलों को निशाना बनाया है।
पहली बार हुआ है जब उग्रवादियों ने किसी सैन्य अधिकारी के परिवार को भी निशाना बनाया। पीएलए मैतई संगठन है। गौरतलब है कि कोई भी मैतई संगठन राज्य में शांति के लिए किए जा रहे प्रयासों के सिलसिले में सरकार के साथ होने वाली बैठकों में शामिल नहीं होता। राज्य की आबादी में यह समुदाय 53 प्रतिशत है। मणिपुर में एक समय था, जब उग्रवाद चरम पर था, लेकिन हाल के समय में उग्रवादी संगठनों के काडर में मतभेद पैदा होने लगे। माना जाने लगा कि उनकी ताकत का तेजी से क्षरण हो रहा है।
ऐसा मानने का कारण भी है क्योंकि हाल के वर्षो में हालात में तेजी से सुधार हो रहा है। उग्रवादी संगठनों के कॉडर आत्मसमर्पण करके मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। ज्यादातर उग्रवादी संगठनों के साथ सरकार की शांति वार्ता चल रही है। संभव है कि उग्रवादी संगठनों ने महसूस कराने के लिए हमले को अंजाम दिया हो कि उनकी ताकत को चूका हुआ नहीं माना जाना चाहिए। राज्य में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं।
संभव यह भी है कि हमला दबाव बनाने की रणनीति के तहत किया गया हो। बहरहाल, जिस जगह पर हमला हुआ है, वहां की बड़ी आबादी जोमी जनजाति की भी है। जोमी चिफ्स एसोसिएशन ने हमले की निंदा की है।
कह सकते हैं कि जनजातीय मानस शांति का पैरोकार है। इस हमले ने उन सभी को सकते में डाल दिया है, जो उग्रवादी संगठनों और सरकार के बीच होने वाली शांति वार्ता के कुछ सकारात्मक परिणाम निकलने की आस लगाए बैठे हैं।
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