अपेक्षित पहल
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 9 माह से चार साल तक की उम्र के बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर अहम पहल करते हुए एक मसौदा अधिसूचना जारी की है।
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इसमें प्रस्ताव है कि दोपहिया वाहन पर कोई बच्चा पीछे सवार है, तो चालक को चालीस किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से नीचे वाहन चलाना होगा। नन्हे-मुन्नों को सेफ्टी हान्रेस और क्रैश हेलमेट पहनाने होंगे। लोगों से इन प्रस्ताव पर प्राप्त आपत्तियों और सुझावों के आधार पर तैयार नियमों को मोटर वाहन अधिनियम में जोड़ा जाएगा।
प्रस्ताव दिया गया है कि हेलमेट और हान्रेस आईएसआई मानकों के अनुरूप और वजन में हल्के होने चाहिए। हान्रेस नायलोन की मजबूत डोरियों से बना हो और उसमें 30 किग्रा. तक भार वहन करने की क्षमता होनी चाहिए। सुझाव और आपत्तियां मिलने के उपरांत इस बाबत नियम को अंतिम रूप दिया जाएगा। सड़क हादसों में बच्चों की जान बचाने की दिशा में की जाने वाली यह कवायद निश्चित ही स्वागतयोग्य है। सड़क हादसों में बच्चों की अकाल मृत्यु की घटनाएं बीते वर्षो में बढ़ी हैं।
वर्ष 2019 में सड़क हादसों में 11,168 बच्चों की मृत्यु हुई थी, जो इस वर्ष सड़क हादसों में वाली कुल मौतों का 8% है। उससे पूर्व वर्ष की तुलना में यह आंकड़ा 11.94% ज्यादा है। आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में तो स्थिति सबसे खराब है। वहां 2019 में 2,388 बच्चों की मौत हुई। उसके बाद क्रमश: तमिलनाडु (1,153), पंजाब (979), मध्य प्रदेश (867) और बिहार (682 बच्चों की मृत्यु) रहे। नित बढ़ते इन आंकड़ों के मद्देनजर जरूरी हो गया है कि इस दिशा में जल्द से जल्द नियमन के स्तर पर कुछ ठोस किया जाए।
ऐसे में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी यह मसौदा अधिसूचना सुखद झोंके की तरह है। सड़क यातायात को बेहतर और सुरक्षित बनाने के लिए काम करने वाले संगठन इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (आईआरएफ) ने दोपहिया वाहनों पर चार साल तक बच्चे सवार होने पर 40 किमी. प्रति घंटा की रफ्तार के प्रस्ताव का खास तौर पर स्वागत किया है। निश्चित ही बनने वाले नियमों से सड़क पर चलते में जागरूकता बढ़ेगी क्योंकि वाहन की गति सीमा और बच्चों को क्रैश हेलमेट और हान्रेस पहनाने की जिम्मेदारी चालक पर होगी।
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