स्वास्थ्य क्रांति की ओर
लगता है देश जैसे स्वास्थ्य क्रांति की तरफ तेजी से बढ़ चला है। इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से कर दी है।
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उन्होंने सोमवार को वाराणसी से 64,000 करोड़ के पीएम आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन की शुरुआत की। यह स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए अब तक की सबसे बड़ी योजना है। इस रकम का देश में हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के लिए निवेश किया जाएगा।
इस योजना के फलीभूत होने के बाद देश के छोटे दूरदराज गांवों के लोगों को इलाज के लिए शहरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। उन्हें अपने गांवों में या आसपास ही उच्च कोटि की स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकेंगी। इसके तहत 29,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों का नेटवर्क विकसित किया जाएगा। जिलों में अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं से युक्त 37,000 बिस्तरों वाले विशेष क्रिटिकल केयर अस्पताल विकसित किए जाएंगे।
ब्लॉक और जिला स्तर पर 4,000 से अधिक सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयां और प्रयोगशालाएं विकसित की जाएंगी। जहां सभी नैदानिक सेवाओं की आइटी के जरिए निगरानी होगी। मिशन के तहत एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान, चार नए विषाणु विज्ञान संस्थान, जैव सुरक्षा स्तर की 15 प्रयोगशालाएं, पांच नए क्षेत्रीय राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र काम करेंगे।
आपात स्थितियों और रोगों के संक्रमण को रोकने के लिए 50 अंतरराष्ट्रीय आगमन बिंदुओं पर सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयां सक्रिय रहेंगी। योजना की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हर भारतीय सुलभ, सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं का हकदार है। हम इस दिशा में जी जान से काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछले सात सालों में स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिले हैं।
आयुष्मान भारत योजना ने इस प्रयास को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। प्रधानमंत्री ने इसी क्रम में पास के ही सिद्धार्थनगर से नौ नए मेडिकल कॉलेजों का लोकार्पण भी किया। इस कार्य से देश खासकर उत्तर प्रदेश में चिकित्सकों की कमी की समस्या दूर करने में बड़ी मदद मिलेगी। इससे 10-12 साल में ही देश में उतने डॉक्टर तैयार होंगे जितने आज तक नहीं हुए। यह मिशन अत्यंत महत्वाकांक्षी है और पूरा होने पर देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
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